मेरा वुजूद

01-05-2024

मेरा वुजूद

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 252, मई प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

मैं अपना वुजूद खोज रहा हूँ
ये कहाँ मिलेगा? कैसे मिलेगा? 
कोई रास्ता? कोई उपाय? कोई मंत्र? 
मुझे कोई बताएगा
कोई ऋषि, कोई दार्शनिक, कोई वैज्ञानिक, 
कोई ज्ञानी, कोई कवि, कोई लेखक 
किसी को मालूम हो तो बताओ
या कोई ऐसा हो जो सीधा 
ईश्वर से संपर्क रखता हो तो मुँह खोले
मैं बेताब हूँ जानने को कि 
आख़िर मेरा वुजूद कहाँ मिलेगा? 
बुद्ध को मिला वृक्ष के नीचे, 
उन्हें जिसने बतलाया 
उस व्यक्ति को ही कोई खोज लाओ
युशु को मिला गड़ेरियों के बीच, 
उन गड़ेरियों का ही मुझे पता बताओ
गाँधी को उनके अपमान में मिला, 
मुझे भी उस शख़्स से मिलवा कोई
अंबेडकर को किताबों ने राह दिखाई, 
उन किताबों का मुझे नाम बताओ कोई
कलाम को विज्ञान में दिखा तो 
कोई विज्ञान सिखाओ मुझे
रावण को अहंकार में, कुंभकरण को निद्रा में, 
राम को संयम में मिला
इन महापुरुषों को तो मिला ही मिला
और मिला नीरव, चोकसी, माल्या को भी
सब को मिल रहा है
बस मेरे वाले का ठिकाना नहीं
अरे कोई इसका रंग, रूप, 
आकार ही बता दो या बता दो
इस वुजूद का वज़न कितना होता है? 
ग्राम में या टन में
क्या मुझ साधारण से उठ पाएगा इसका बोझ
क्या यह मिलेगा मुझे धर्म ग्रंथों में, 
पुराणों में, वेदों में या किसी तीर्थालय, 
देवालय, हिमालय या मदिरालय में 
या किसी परचून की दुकान में? 
कहीं ऐसा तो नहीं 
किसी हवलदार ने मेरे वुजूद को क़ैद कर लिया हो? 
या किसी नारी के सम्मोह ने जकड़ लिया हो? 
हे पंच तत्वों तुम ही कुछ कहो
हे वसुधा तुम ही कुछ कहो
सब के सब मौन क्यों हैं, क्या किसी को भी मालूम नहीं
मेरा वुजूद कहाँ है? किस हाल में है? 
ज़िन्दा भी है या मेरे इंताजर में वो भी चल पड़ा यमलोक। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में