मेरा सत्य

01-06-2024

मेरा सत्य

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 254, जून प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

एक
 
मैं इश्क़ करना चाहता हूँ
मैं पागल होना चाहता हूँ
मैं तुम्हें पाना नहीं चाहता
मैं तुम्हें माँगना नहीं चाहता
मैं तुम्हें देखना चाहता हूँ
भूत, वर्तमान और भविष्य में
ख़ुदा मुझे इश्क़ में नई नई तदबीर दे
ख़ुदा मुझे इश्क़ में कुछ न माँगने की सीख दे
 
दो
 
मैं कभी तुम्हारे दुःख का कारण नहीं बनूँगा
न कभी तुमसे छेड़छाड़ करूँगा
मैं देखूँगा तुम्हें दूर से
जैसे कोई दार्शनिक देखता है ताजमहल को
मैं तुम से इजाज़त नहीं माँगूँगा
मैं बस लिख दूँगा तुम्हें अपनी कविताओं में
तुम मेरी थी
तुम मेरी हो और
सदा मेरी ही रहोगी
तुमने कभी मेरा हाथ नहीं पकड़ा
तुमने कभी मुझे गले नहीं लगाया
ना हम साथ में कभी घूमने गए
अपनी कविताओं में मैं तुमसे वो सब
करवाऊँगा जो प्रेमियों के बीच होता है
मेरी कविताएँ वास्तविकता से दूर ही सही
परन्तु इनसे मिला सुख वास्तविक है, सत्य है
मेरे लिए
मेरे जैसों के लिए।

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