सावन

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 260, सितम्बर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

सावन में पानी की टप टप से
याद आता है आँसुओं की टप टप
जो पिछले महीने बहाई थी मैंने 
तुम्हारी याद में
 
प्रत्येक सावन . . .
सावन दर सावन . . . 
कावरियों की तरह 
मैंने तुम्हें प्रेम चढ़ाया
 
देखो, हम दोनों को पसंद है सावन
और इस सावन मैं मर रहा हूँ
 
पता नहीं मेरा दिल उर्वर है या नहीं
फिर भी इस सावन
बचे खुचे प्रेम को बो रहा हूँ
अपने दिल के भीतर
और तलाश रहा हूँ
तुम्हारे जिस्म की धूप। 

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