मैं ऐसा क्या लिख दूँ

01-01-2025

मैं ऐसा क्या लिख दूँ

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 268, जनवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

मैं ऐसा क्या लिख दूँ 
कि लोग पागल हो जाएँ
अंदर तक घायल हो जाएँ
जो एक बार पढ़े तो पढ़ता रहे बार बार
क्या मैं चाँद को सूरज लिख दूँ, 
तारों को जुगनू प्रदेश, 
आकाश को हिम लोक और
विष को अमृत लिख दूँ या
मजनूँ को मवाली लिख दूँ 
प्रधान को गाली को लिख दूँ
प्रेमिका को घरवाली लिख दूँ
मैं क्या लिख दूँ? सवाल पर
किसी ने सुझाया कि
गीता को क़ुरान
राम को अल्लाह और 
मंदिर को मस्जिद लिख दो
सुन कर ऐसी बातें
मैं घबराया फिर सोचा
जब लिख डाली सब हल्की बातें
चलो कुछ बात गंभीर लिख देता हूँ
फिर लिख डाला
बापू के देश को इक्कीसवीं सदी का ग़ुलाम
स्वामीनाथन के अनाज को कुपोषित
नेहरू के लोकतंत्र को तानाशाह का नक़ाब
फिर सोचने लगा
क्या कलाम को राष्ट्रपति कम ज़्यादा सैनिक लिख दूँ? या
सावरकर को देशभक्त कम ज़्यादा रण छोड़ लिख दूँ? 
अँग्रेज़ों को पोषक, मुग़लों को शोषक लिख दूँ? 
या भारत को विश्वगुरु लिख दूँ? 
चलो अंत में 
सच को झूठ, झूठ को सच लिख दूँ। 

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