तुम्हारे संग

15-10-2024

तुम्हारे संग

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 263, अक्टूबर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

तुम्हें संज्ञा किस की दूँ
औषधि या पुष्प की? 
ख़ैर तुम जो भी हो
तुम सदैव मेरे हृदय कुंज पर 
चमेली के पुष्प की भाँति लिपटी रही
मेरे जीवन को महकाया तुमने रात रानी की तरह
इतना ही नहींं, तुम तुलसी जैसी औषधीय भी हो
जैसे दिया जाता है बुख़ार में पैरासीटामाल, ठीक वैसे
अपने औषधीय गुणों से मुझे स्वस्थ बनाती रही
तुम पवित्र हो, तुम्हारी उपस्थिति अनिवार्य है और
तुम्हारा साथ शोभा भी देता है मुझे
तो अगर मैं तुम्हें देवी की संज्ञा दूँ, तुम आश्चर्य मत करना। 

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