मंदिर देखो

01-11-2024

मंदिर देखो

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 264, नवम्बर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

मालिक रोज़गार चाहिए
मंदिर देखो
मालिक शिक्षा चाहिए
मंदिर देखो
मालिक सस्ती दवाएँ चाहिए
मंदिर देखो
मालिक अच्छा स्वास्थ्य चाहिए
मंदिर देखो
मालिक न्याय चाहिए
अबे मंदिर देखो
मालिक जल का सुनियोजित वितरण चाहिए
अबे मंदिर देखो
मालिक साफ़ शुद्ध हवा चाहिए
अबे मंदिर देखो
मालिक भ्रष्टाचार बढ़ रहा है
अबे कहा न मंदिर देखो
मालिक तानाशाही बढ़ रही है
कितनी बार कहूँ मंदिर देखो
मालिक अत्याचार बढ़ रहा है
आह, ये मंदिर तो देखो
मालिक मंदिर तो अधूरा है
अबे तो सोने के श्री राम देखो
मालिक लानत है आप पर
हाँ पता है तो क्या, मंदिर देखो। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में