सुनो प्रिये

01-07-2024

सुनो प्रिये

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 256, जुलाई प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

सुनो प्रिये! 
जब तुम्हें लगे थक गई हो तुम
आना मेरे पास और टेक देना 
अपना सर मेरे कन्धों पर
मैं तुम्हें प्यार भरी थपकियाँ दूँगा और 
देखता रहूँगा तुम्हें अपनी कनखियों से
बिना हिले-डुले
पाषाण बन जाऊँगा 
जैसे पाषाण बन जाते है पर्वत
जब नदियाँ उन पर अपना सर टेक देती है। 

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