थोड़ा थोड़ा

15-11-2024

थोड़ा थोड़ा

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 265, नवम्बर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

भोंपू बजाते हुए
ट्रेन रफ़्तार पकड़ रही है
एक चेहरा अभी भी खड़ा है
उसी प्लैटफ़ॉर्म पर, जहाँ से 
मैंने ट्रेन पकड़ी थी
वो बड़ी देर तक
जड़ होकर खड़ी रही
और देखती रही
मुझे दूर जाते हुए
उसे उम्मीद है
मैं ट्रेन से उतरूँगा और लौट आऊँगा
मुझे उम्मीद है
इस बार मैं चला जाऊँगा
अपने आँसुओं को पोंछते 
थोड़ा थोड़ा ज़िन्दगी से दूर
थोड़ा थोड़ा मौत के क़रीब। 

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