अंत कहाँ पर करूँ

15-04-2024

अंत कहाँ पर करूँ

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 251, अप्रैल द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

कहाँ से शुरू करूँ लिखना
मैं गाथा तबाही की
मुग़लों के आक्रमण से
अँग्रेज़ों के आगमन से या
प्रथम विश्वयुद्ध से या
बँटवारे से या
आज़ादी की प्राप्ति से
प्रश्न उतना कठिन नहीं है
शुरूआत है, कहीं से भी की जा सकती है
कठिन यह है कि अंत कहाँ पर करूँगा? 
पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण में उठती नफ़रत पर, 
हिमालय के दरकने से मरती ज़िंदगियों पर, 
भाई को भाई से पृथक करती सीमाओं पर, 
देवालयों को दूषित करती मानसिकता पर, 
भविष्य मालिका की भविष्यवाणी पर या
आख़िर ये ख़तम होगी मेरी ही मौत पर

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