प्रियजनो

01-05-2024

प्रियजनो

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 252, मई प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

जब तड़प उठे आशिक़ दिल से
जब तड़प उठे भक्ति दिल से
जब रक्षण के लिए उठाए हाथ सेना
जब देशभक्ति रही पुकार तुम्हें
तब हे प्रियजनो
न रोकना मुझे तुम
मेरे महबूब से मिलने के लिए
न रोकना मुझे तुम
मेरे प्रभु से मिलने के लिए
न रोकना मुझे तुम
मेरे अपने की रक्षा के लिए
न रोकना मुझे तुम
मेरे देश की ख़ातिर मर मिटने के लिए
हे मेरे प्रियजनो
तब कोई और उपाय न काम आयेगा
जो चाहूँ मुझे वो करने देना
मेरे हालातों से मुझे लड़ने देना। 

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