क्रांति

01-01-2025

क्रांति

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 268, जनवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

देश पर जब छा जाएगी मनहूसियत
लोकतंत्र को जब लटका दिया जायेगा तानाशाह के वृक्ष पर
जब नागरिक बनकर रह जाएँगे सिर्फ़ देह
जब सम्मान, अधिकार, अभिव्यक्ति लगने लगेंगे कूड़े के ढेर
जब सिविल नौकरों की देह से उठने लगेगी गंध
जब आकाश को देखने के लिए लेनी होगी परमीशन
जब देश के क़ानूनों पर पैठ बना लेगा यमराज
जब हावी हो जाएगी भारतवर्ष पर धर्म की राजनीति
जब विद्यालयों से ज़्यादा दिखने लगेंगी
मंदिर, मस्जिद और गिरजाघर
तब, तब एक प्रश्न उठता है
हे मेरे ग़ुलाम मित्रों क्या तुम दे सकोगे
जब मैं माँगूँगा तुमसे तुम्हारा लहू
छिड़कने को भारतवर्ष की देह पर
ताकि जगा सकूँ एक और क्रांति। 

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