तुम जानते हो?

01-06-2024

तुम जानते हो?

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 254, जून प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

छुप छुप कर देखना क्या होता है
तुम जानते हो? 
चोरी छिपे उसकी आँखों से छू जाने
का अहसास
तुम जानते हो? 
भीड़भाड़ से बच कर कोई एक चेहरा
तुम्हें देखता होगा, उसकी बेबसी को
तुम जानते हो? 
आते जाते जानबूझ कर अपनी हथेलियों को
तुम्हारी हथेलियों से स्पर्श कर देती है
इस चुंबन का स्वाद
तुम जानते हो? 
जिस बदन को कभी छुआ नहीं, उस बदन
से उठती ख़ुश्बू से टकरा जाने का हुनर
तुम जानते हो? 
मैंने जिया है इन सभी अनुभूतियों को
पर अफ़सोस न वो मुझ से कह सकी और
न मैं उससे कह सका
कि हम दोनों
एक दूसरे से
से प्रेम करते हैं॥

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