आँखों की भाषा
धीरज ‘प्रीतो’
एक
तुम आँखों कि भाषा समझते हो?
इन आँखों से निकले आँसुओं कि
भाषा तुम समझते हो?
आँखों का हल्का सा फैल जाना या
संकुचित हो जाना या
इनके जलमग्न हो जाने की भाषा तुम समझते हो?
नहीं ना, क्यूँकि ये मौन की भाषा है
और मौन कि भाषा बड़बोले नहीं समझ सकते
दो
मैंं रो नहीं रहा हूँ
मैंं कुछ कहने की कोशिश कर रहा हूँ
दर्द बहुत है, बहुत कुछ है कहने को
परन्तु मेरे लबों को शब्द नहीं मिल रहे है
इसलिए एक रास्ता निकाला है मेरी आँखों ने
तो पूछना है मुझे
मेरी आँसुओं को भाषा का दर्जा कब दिया जाएगा?
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