अचानक

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 263, अक्टूबर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

अचानक कोई आत्महत्या नहीं करता
अचानक कोई बग़ावत नहीं करता 
अचानक कोई क्रांतिकारी नहीं होता
अचानक से कोई बेवफ़ा नहीं होता
अचानक से मैं धीरज से प्रीतो नहीं हुआ
अचानक, इस अचानक को अचानक होने में 
रफ़्ता रफ़्ता कई दिन, कई हफ़्ते, कई महीने 
और कभी कभी कई साल लगते हैं। 
अचानक को शब्द में परिभाषित
नहीं किया जा सकता, अचानक किसी
के दोष को छुपाने के लिए प्रयोग किया गया शब्द मात्र है
सम्भवतः इसने एक लम्बी 
दूरी तय की हुई होती है। 

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