प्रेम अमर रहे

15-03-2024

प्रेम अमर रहे

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 249, मार्च द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

किसी दिन मैंं सो कर उठूँगा और पाऊँगा
शहतूत, ओक और एरी के सारे पेड़ 
गिरा दिए गए हैं और
रेशम के सारे कीड़े मार दिए गए हैं
क्यूँकि
अब कोई चरखा नहीं चलाता प्रेम का
अब कोई सूत नहीं कातता प्रेम का
फिर किसी दिन
प्रेम के सारे धागे 
काट दिए जाएँगे
नफ़रत के धागों से
और वह दिन हम प्रेमियों
का इस धरा पर आख़िरी दिन होगा
और हमारा आख़िरी लफ़्ज़ होगा
प्रेम अमर रहे। 

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