उम्मीद एक वादे पर

01-02-2024

उम्मीद एक वादे पर

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 246, फरवरी प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

तुम्हारा चेहरा भूल चुका हूँ 
हमारे बीच की अठखेलियाँ धुँधला गईं हैं
गीत याद है धुन भूल चुका हूँ
कुछ ख़त रखे हैं सही सलामत
होंठों पर तुम्हारे दाँत काटने के निशान भर चुके हैं
और पीठ पर तुम्हारी अंगुलियों के 
खरोंच शायद आज भी हों पक्का मालूम नहीं
 
गुज़रते गुज़रते कितने साल पुराने होते चले गए
कितने बसंत आए और चले गए
 
तुम्हारे किए एक वादे पर मैं आज भी टिका हूँ
 
बसंत आने से पहले लौट आऊँगी
यही कहा था न तुमने 
और साफ़ साफ़ यही याद है मुझे
 
तुम लौट कर आओगी, उम्मीद है
तुम मेरा नाम पुकारोगी, उम्मीद है
तुम मेरा फिर से चुम्बन करोगी, उम्मीद है
और तब उस दिन मैं पुनः साँस लूँगा, उम्मीद है।

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