तुम हक़दार हो

01-09-2024

तुम हक़दार हो

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 260, सितम्बर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

तुम हक़दार हो कि
तुम पर प्रत्येक अदीब लिखे कविता
 
तुम्हें सभी पवित्र नदियों के नाम दिया जाए
तुम से ही पूछ कर सूर्योदय हो
तुम्हारी ही आँखों में टिमटिमाएँ तारे
 
तुम केंद्र बिंदु हो प्रेम की संस्कृति की
तुम्हीं हो राधा
तुम्हीं हो मीरा
और तुम्हीं हो संगीत की ध्वनि में
 
तुम सिर्फ़ मेरी ही प्रिय नहीं प्रियतमा
ब्रह्मांड को भी
अति प्रिय हो। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में