मुझे माफ़ कर दो

01-11-2023

मुझे माफ़ कर दो

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 240, नवम्बर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

कल की ही बात है
दोपहर में तेज़ धूप से बदन जल रहा था
प्यास से गला सूख रहा था
मैं तलाश रहा था
थोड़ी सी छाँव, थोड़ा सा पानी
फिर दिखा मुझे एक ईंट का भट्टा
जिसकी छाँव में जाकर पसर गया
लेकिन बड़ी मुश्किल हुई
छाँव तो मिली साथ हवा ज़हरीली मिली
मैं भागने लगा इस नर्क से दूर
और जाकर एक नदी में गिरा
परन्तु प्यास न बुझी
बदन चिपचिपाने लगा
रोम रोम में ज़हर समाने लगा
मेरे अंदर का विज्ञान चिल्लाने लगा कि मुझे बचाएगा
एक नया रसायन बनाएगा
मैंने भी हाथ जोड़ा, बोला अब रहने दे
और कितना बर्बाद करूँ इस धरा को
मुझे माफ़ कर, मुझे मरने दे।

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