मैं हूँ

01-11-2024

मैं हूँ

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 264, नवम्बर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

सुनो, तुम को मुझे से प्रेम है तो
सिर्फ़ मुस्कुराओ नहीं
खिलखिला कर हँसो, 
सिर्फ़ गुनगुनाओ नहीं, नृत्य भी करो
जो जी में आता है, करो
जीवन एक ही है, हाँ
तुम्हारी नैतिकता के आड़े बेड़ियाँ आवें तोड़ देना
सफ़र पर निकलो, सिनेमा जाओ
देर रात को घर आओ
किन्तु, बचना अपनी ही नज़रों में गिरने से
बाक़ी, इस दुनियाँ को जवाब देने के लिए मैं हूँ
दूसरों की बदतमीज़ियों का जवाब देना, लड़ जाना
हाँ, अगर तुम ग़लत हो, स्वीकार करना, क्षमा माँगना
पहले पहल अपने निर्णय स्वयं करना
तत्पश्चात् कोई कठिनाई आवे तो
मैं हूँ। 

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