गुलाब

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 254, जून प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

एक 
 
प्रायः गुलाब को 
प्रेम का पुष्प समझ जाता है
उसके लाल रंग के कारण शायद
तो फिर मैं क्या हूँ, जिसमें लाल रक्त बह रहा है
हाँ, त्वचा का रंग साँवला है
परन्तु आप कहें तो
मैं तैयार हूँ पूर्णतः लालमयी होने को
मगर मुझे समझा जाए
सदैव, प्रेम का पुष्प। 
 
दो
 
मेरे लिए गुलाब कोई फूल नहीं है
मेरे लिए गुलाब का मतलब तुम हो
जब कभी भी कोई गुलाब खिलता है 
मुझे लगता है कि तुम मुझसे मिलने आई हो
और 
जब भी कोई गुलाब तोड़ता है
मुझे लगता है
मुझे तुमसे जुदा किया जा रहा है
और मेरे मन में उस शख़्स की
हत्या का ख़्याल आता है
मुझे तुम से प्रेम है
और मैंने सीखा
प्रेम हत्याएँ नहीं करता 
प्रेम सृजन करता है
फिर मैं इंतज़ार करता हूँ
एक नए फूल के खिलने का
और 
एक नए अंदाज़ में दोबारा तुमसे मिलने का। 

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