पुल

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 256, जुलाई प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

मेरे और तुम्हारे बीच क्या था
जब ढूँढ़ने निकलता हूँ
कुछ धुँधली तस्वीरें दिखाई देती हैं
स्पष्ट नहीं होता ये प्रेम था या
प्रेम जैसा कुछ या
सिर्फ़ मेरा भ्रम था
कि तुम्हें भी मुझसे प्रेम रहा होगा
हूँ ऽऽऽऽ म्मम
जो भी था, बहोत अनमोल था
हमारे बीच एक पुल था, दोस्ती का। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में