एक नई दुनिया

01-11-2024

एक नई दुनिया

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 264, नवम्बर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

आओ तोड़ दे वो भट्टियाँ जिनमें धर्म पकता है 
उन बैटरियों को निकाल फेंकें जिनसे सरकारें चलती हैं
बड़ी बड़ी संस्थाओं की सीढ़ियों को अपंग कर दें
तबाह कर दें समस्त आर्थिक बाज़ारों को
मानव को मानव से आज़ाद कर दें
 
आओ लौट चले आदम युग में
जहाँ न हो सेपियंस, नियंडरथल्स और इरेक्टस का आपस में बैर
और एक भाषा हो जिससे यथार्थ बोला जाए न की कल्पित बातें
 
एक बार पुनः खोजते हैं 
अग्नि, पहिया और पत्थर के औज़ार
 
अग्नि ऐसी जिससे कोई झुलसे ना 
पहिया ऐसा जिसके नीचे आकर कोई मरे ना
और औज़ार ऐसे जिनसे दिन ब दिन गहराती जाए मित्रता
 
एक नई सिंधु सभ्यता बनाते हैं जिसमें न हो कोई वर्ण, 
न ऊँच नीच की दीवार, न पुरोहित, न कोई भगवान
जहाँ प्रतिस्पर्धा भाईचारे, मानवता और प्रेम भाव का हो
 
एक ऐसी दुनिया बनाएँ जो हमारी आकाशगंगा में
गंगा की तरह पवित्र हो, कोमल हो, स्वच्छ हो। 

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