मेरी पत्नी 

01-09-2025

मेरी पत्नी 

धीरज पाल (अंक: 283, सितम्बर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

तुम्हारी गोद में सर रख कर लेटा था
उस वक़्त जो महसूस हुआ
बता दूँ, यक़ीं करोगी? 
यक़ीं करोगी कि उस वक़्त मैं ही विष्णु था
शीरसागर में लेटा हुआ और तुम मेरी लक्ष्मी 
मुझ में कोई दैवीय शक्ति नहीं
न ही मैं तंत्र मंत्र का ज्ञाता 
तुम जिस क्षण अपना मस्तक 
मेरे अंस पर टेक दोगी, उसी क्षण 
मैं शिव हो जाऊँगा
तुम सिर्फ़ पत्नी नहीं हो
तुम पहाड़ हो, नदी हो, झील हो, झरना हो
और हो मेरा समस्त समंदर
तुम वहीं एक ख़ूबसूरत स्थान हो 
जहाँ मैं ठहर जाना चाहता हूँ सदा के लिए
तुम सिर्फ़ पत्नी नहीं हो
तुम मेरा धीरज हो। 

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