रोज़गार चाहिए

15-09-2024

रोज़गार चाहिए

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 261, सितम्बर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

चल बोल तुझे क्या चाहिए
चाँद की मिट्टी या
चाँद चाहिए
आकाश चाहिए 
पाताल चाहिए
या सोने की लंका उपहार चाहिए
क्या अयोध्या में तुमको राम चाहिए
नहीं नहीं मुझको घर द्वार चाहिए
बस एक छोटा सा मुझको रोज़गार चाहिए। 
 
चल बोल तुझे क्या चाहिए
सड़क चाहिए या
जहाज़ चाहिए
अस्पताल चाहिए
महँगे मॉल चाहिएँ
या एक नया संसद भवन उपहार चाहिए
क्या हर पंचवर्षीय नया नोट चाहिए
नहीं नहीं मुझको सम्मान चाहिए
बस एक छोटा सा मुझको रोज़गार चाहिए। 
 
चल बोल तुझे क्या चाहिए
सब्सिडी चाहिए या
मुफ़्त अनाज चाहिए
नमक चाहिए
बैंक में सीधा पैसा चाहिए
या कालोनियों का कोई उपहार चाहिए
क्या सरकारी योजनाओं की भरमार चाहिए
नहीं नहीं मुझको मेहनत की रोटी चाहिए
बस एक छोटा सा मुझको रोज़गार चाहिए। 
 
चल बोल तुझे क्या चाहिए
अच्छे दिनों की सौग़ात या
हिन्दू राष्ट्र चाहिए
भारत विश्व गुरु चाहिए
इंडिया भारत का फ़साद चाहिए
या काले धन का उपहार चाहिए
नहीं नहीं मुझको गाँधी वाला देश चाहिए
बस एक छोटा सा मुझको रोज़गार चाहिए। 

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