विद्रोही कविताएँ

01-08-2024

विद्रोही कविताएँ

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 258, अगस्त प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

नसीब का फोड़ा जब टपकता है
लबों से शब्द मवाद की तरह बह उठते हैं, 
आँखों की सरस्वती सूख जाती है और
देह पर नमक का स्वाद बचा रह जाता है
 
मेरी कविताओं से तुम्हें मेरे ख़ून की ख़ुश्बू आएगी
मैंने इन्हें तब लिखा जब मेरा दिल खौल रहा था
 
मैं जानता हूँ तुम्हें ख़ून, पानी और आँसू में फ़र्क़ नहीं मालूम
तुम्हारे लिए ये कविताएँ मात्र वर्णमाला होंगे, किन्तु 
एक मज़दूर के लिए ख़ज़ाना, 
प्रेमियों के लिए शस्त्र और
क्रांतिकारियों के लिए आवाज़
क्योंकि पीड़ा से उपजी कविताएँ विद्रोही होती है। 

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