बच कर रहना

15-01-2024

बच कर रहना

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 245, जनवरी द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

सब अपने हैं 
सत्य भी है और भ्रम भी
सत्य है तो निश्चिंत रहो
भ्रम है तो बच कर रहो
अपने दोस्तों से
अगर किसी बात पर कहा सुनी हो
अपने डॉक्टर से
वह इलाज भी कर सकता है
और लालच में तुम्हें बहुत ज़्यादा बीमार भी
अपने वकील से 
कहीं कचहरी को ही तुम्हारा घर न बनाए
राशन वाले से
दूध वाले से
सब्ज़ी वाले से
कहीं परोस न दे तुम्हें ज़हर
अपने भाई से 
जब भाई को हो जाए तुमसे
ज़्यादा सम्पत्ति से प्यार
अपने माँ बाप से
जब उनका प्यार तुम्हें 
करने लगे विकलांग
रिश्तेदारों से
जो तुम्हारी ख़ुशियों के आड़े आए
अपनी पत्नी से
अपने पति से
जब कर दे शंका बीच में प्रहार
अपनी प्रेमिका से 
जब कह दे अब्बा नहीं मानेंगे
अपने प्रेमी से
जब कह दे इंतज़ार करना मेरा
सरकार से
जो अच्छे दिनों की उम्मीद जगाए
पत्रकार से
जो तुम्हें झूठ दिखाए
बच कर रहना 
कवियों से
जो अपनी मीठी बातों में तुमको फँसाए
बच कर रहना
फिर से कहता हूँ, बच कर रहना। 

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