हमारे मध्य की कविताएँ

15-01-2025

हमारे मध्य की कविताएँ

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 269, जनवरी द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

हम दोनों के बीचों-बीच रहती हैं कुछ प्रेम कविताएँ
जो तलाशती हैं कुछ प्रेम शब्द
जो हमारे स्पर्श से बनते हैं वाक्य और
हमारे लबों के मिलने से बनते है मज़मून
स्वर्ग में बैठी लताजी और तानसेन जब जोड़ते हैं 
इस मज़मून में अपने स्वर और ताल 
तब यह बनता है एक प्रेम गीत
और जब प्रेमियों का एक बड़ा वर्ग इस गीत को गाता है, दोहराता है 
तब यह बन जाती है एक प्रेमगाथा। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में