बहनो

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 238, अक्टूबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)


बहनो, 
तुम छोड़ क्यों नहीं देती 
इस दुनिया को
मर्दों के सिरहाने
ये दुनिया 
जो इतनी क्रूर हो गई है
तुम्हारे लिए
 
बहनो, 
तुम यहाँ से चली क्यों नहीं जाती
किसी दूसरी दुनिया में
किसी और ईश्वर के पास
जो सुन ले तुम्हारी पीड़ा
  
बहनो, 
जैसे माँ के छोड़ जाने पर
बेटों में बुद्धि आ जाती है
पत्नी के छोड़ जाने पर 
पति में बुद्धि आ जाती है
प्रेमिका के छोड़ जाने पर
प्रेमी में बुद्धि आ जाती है
 
बहनो, 
शायद तुम्हारे द्वारा छोड़ जाने पर
मर्दों में बुद्धि आ जाए
ईश्वर में संवेदना आ जाए
मेरी प्यारी बहनों 
तुम शुरूआत करना 
मुझे छोड़ जाने से। 

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