थोड़ा सा थक गया हूँ

15-09-2024

थोड़ा सा थक गया हूँ

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 261, सितम्बर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

थोड़ा सा थक गया हूँ
थोड़ा और थकना चाहता हूँ
अभी हाथ पैर हिला सकता हूँ
बिना किसी दर्द के
इतनी थकावट पर्याप्त नहीं 
अभी कुछ और ज़ोर लगाना है
अभी तो आत्मा को थकाना है
अभी हृदय सामान्य धड़क रहा है
मुझे तो हृदय को भी थकाना है
तो चलो चलते हैं
कर्मपथ पर
जो सोए हैं उन्हें जगाना है
जो जागे हैं इन्हें थकाना है
चलते जाना है
तब तक
जब तक
इन्द्रियाँ न थक जाएँ
पंच तत्त्व न थक जाएँ
हृदय न थक जाए
आत्मा न थक जाए
थोड़ा सा थक गया हूँ
थोड़ा और थकना चाहता हूँ
अभी थोड़ा और लिखना चाहता हूँ। 

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