प्रेम और ईश्वर
धीरज ‘प्रीतो’
किसी का किसी के लिए
ईश्वर हो जाना कितना आसान है
उतना जितना किसी का किसी से
घृणा करना आसान है
मगर किसी का प्रेमी/प्रेमिका हो जाना बहुत कठिन
मैं तुम्हारे लिए सब कुछ हो सकता हूँ
मगर तुम्हारा नितांत प्रेमी कभी नहीं
मैं तुम्हें भोगने की चाह भी रखता हूँ
इसलिए तो कहता हूँ प्रेमी होना
ईश्वर होने से ज़्यादा कठिन है
प्रेम नितांत प्रीति है
और प्रेमी नितांत भक्त
प्रेमी में भोग विलास की भावना नहीं होती
तो क्या प्रेमिकाओं के मन में अपने प्रेमी को लेकर
संभोग लालसा उत्पन्न नहीं होती, होती है
इसलिए तो प्रेमिकाओं का भी
देवी हो जाना लगभग असम्भव है
लेकिन सम्भव भी है
जैसे राधा और मीरा
दोनों प्रेमिकाएँ भी हैं और देवी भी
और जैसे प्रेमियों में एक मात्र कृष्ण
प्रेमी भी है और ईश्वर भी।
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