ठुकराया गया प्रेम

15-11-2024

ठुकराया गया प्रेम

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 265, नवम्बर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

मेरा नाम इश्क़ है
अपने मुझे देखा होगा भटकते हुए गली कूचों में
महसूस भी किया होगा
और किसी के साथ बाँटा भी होगा
मैं प्रेम हूँ, इश्क़ हूँ, प्यार हूँ
पहले मैं तुम्हारे पास था, पूर्ण था
फिर तुमने मुझे बाँटा 
एक लड़की से और 
उसने मुझे ठुकरा दिया
अब मैं ठुकराया गया प्रेम हूँ
दोनों तरफ़ से
तो ये सच है 
जो ठुकराए जाते हैं
वो कहीं के नहीं होते। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में