नदी

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 249, मार्च द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

स्वभाव मेरा नदी जैसा है
कभी कभी मुझ में प्रेम, उदासी, सुख दुःख 
और विचारों की बाढ़ आती है
तो कभी सूखा
 
मुझे ठहरने से डर लगता है
कभी कभी सहारा लेना पड़ता है
बरसात का ताकि बना रहे मुझमें निरंतर बहाव
मुझे लगता है
मेरी माँ, मेरी बहन और मेरी प्रेयसी समुन्द्र जैसी हैं
इनमे प्रेम, उदासी, सुख दुःख
सदैव एक समान बना रहता है 
मेरा स्त्री हो जाना मेरे पूर्णता की कहानी होगी
लेकिन अफ़सोस मैंं पुरुष ही मरूँगा। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में