तुम्हारे बाद

01-02-2025

तुम्हारे बाद

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 270, फरवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

नदियों ने जब छला मिट्टी को
मिट्टी पत्थर हो गए 
मैं भी सबसे कठोर तब हुआ
जब मुझे प्रेम में छला गया
 
अब मेरी स्मृतियों उपनिवेश है तुम्हारी यादों की
तुम्हारी तस्वीर देखता हूँ 
याद आता है समंदर 
और जब चूमता हूँ 
याद आता है तुम्हारे बदन का खरापन 
अफ़सोस! 
चिंताजनक! 
या ख़ुशख़बरी! 
अब तुम्हारे बाद 
मुझे मेरी बहुत याद आती है। 

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