पल भर का सफ़र

01-05-2025

पल भर का सफ़र

धीरज पाल (अंक: 276, मई प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

पहले ही देर हो चुकी है
अभी जकड़ लो
कहीं बँट न जाऊँ 
इहलोक और परलोक में
उड़ न जाऊँ तुम्हारे आँगन से
अँकवारी भर थपथपा दो सुला दो
महक जाऊँ पल भर फिर जगा दो
भोजन परोस खिला दो
गुदगुदा दो हँसा दो
हिला-डुला जाँच लो खेला लो 
मैं तुम्हारा हूँ
यह बता दो, जता दो। 

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