बीहड़

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 244, जनवरी प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

बीहड़ सा बेरंग है जीवन
बीहड़ सा सुनसान भी
बीहड़ से ही मिलते जुलते दिल के सब अरमान भी
बीहड़ से ही बंजर है मन के सब विचार भी
बीहड़ से ही ऊबड़ खाबड़ सपनों का संसार भी। 
 
बीहड़ सा सूखा है जीवन
बीहड़ सा एकांत भी
बीहड़ सा ही क़ातिल है अपनों का व्यवहार भी
बीहड़ सा विस्तार लिए दुश्मनों का जंजाल भी
बीहड़ में जैसे विलुप्त है नदियाँ विलुप्त हुआ इंसान भी॥

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