उपनिवेश
धीरज ‘प्रीतो’
आज़ादी मिल जाने से उपनिवेशवाद ख़त्म हो गया है
यही जानते हो ना तुम?
देखो अपने चारों तरफ़ और सच बताना
क्या उपनिवेशवाद ख़त्म हो गया है,
जवाब आयेगा नहीं
यहाँ हर एक शख़्स उपनिवेश है हर एक शख़्स का
ये आम सी दिखने वाली जनता,
ये ज़मीने, ये जलस्रोत, ये संसाधन,
पेड़ पौधे, पर्वत पठार
क्या सब के सब सरकार के उपनिवेश नहीं है
जहाँ जब चाहा, जिसकी चाही
ज़मीन ले ली, घर ढहा दिया
क्या तुम अपने माता पिता,
भाई बहन, दोस्त यार के उपनिवेश नहीं हो
बिल्कुल हो, वो जैसा चाहते हैं
तुम पर वैसा प्रभाव छोड़ते हैं
क्या तुम्हें याद है तुमने अपने मन की कब की थी,
या कब कहीं घूमने गए थे अकेले
क्या ये जानवर जिन्हें तुम देखते हो,
क्या इंसानों के उपनिवेश नहीं है?
सच बताना क्या तुम इन पर ज़ुल्म नहीं करते?
यहाँ हर एक शख़्स उपनिवेश है धन दौलत का,
सुन्दर औरतों का, अमीर पुरुषों का
मैं भी तो हूँ उपनिवेश अपनी कविताओं का,
शब्दों का और विश्वविख्यात कवियों और लेखकों का
क्या यह सच नहीं है कि
तुम सब कुछ जानते हो फिर भी सोए हुए हो
क्यूँकि तुम अभी भी उपनिवेश हो
निद्रा का, आलस का, दिखावेपन का
इस कलयुग को बचाने के लिए
आने वाले कल्कि, क्या उपनिवेश नहीं है विष्णु का?
और तो और हमने ईश्वर तक को उपनिवेश बना दिया है
मंदिरों का, धर्मों का और कट्टर इंसानों का।
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- कविता
-
- अंत कहाँ पर करूँ
- अकेलापन
- अदृश्य दरवाज़े
- असल प्रयागराज
- आँखों की भाषा
- आईना
- आख़िरी कर्त्तव्य
- उपनिवेश
- उम्मीद एक वादे पर
- एक लड़का
- कर्ण
- क्या राष्ट्र सच्चा है?
- गड़ा मुर्दा
- गाँव और शहर
- गिद्ध
- गुनाह
- घुप्प अँधेरा
- छह फ़ुट की क़ब्र
- जागती वेश्याएँ
- तीन भाइयों का दुखड़ा
- नदी
- पदार्थ की चौथी अवस्था
- पुतली
- पेड़ गाथा
- प्रियजनो
- प्रेम अमर रहे
- प्रेम और ईश्वर
- बच कर रहना
- बताओ मैं कौन हूँ?
- बदहाली
- बह जाने दो
- बहनो
- बहनो
- बारिश
- बीहड़
- बुद्ध
- बेबसी
- भाग्यशाली
- माँ
- माँगलिक
- मुझे माफ़ कर दो
- मेरा वुजूद
- मेरी कविताओं में क्या है
- मेरी बहन
- मैं आवाज़ हूँ
- मैं तप करूँगा
- मैं भी इंसान हूँ
- मैं स्त्री हूँ
- मैं ख़ुद की हीनता से जन्मा मृत हूँ
- मज़दूर हूँ
- ये दुनिया एक चैंबर है
- राम, तुम मत आना
- लड़ते लड़ते
- शब्द
- शादी का मकड़जाल
- षड्यंत्र
- सूरज डूब गया है
- स्कूल बैग
- स्त्रियाँ
- स्त्री तेरे कितने रंग
- होली—याद है तुम्हें
- ग़रीबी
- विडियो
-
- ऑडियो
-