हाय प्रीतो

01-12-2024

हाय प्रीतो

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 266, दिसंबर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

अब मैं एकाश्म नहीं 
टुकड़ों में टूटा हूँ
ख़ुद से निराश
ख़ुदा से रूठा हूँ
भीड़ में तन्हा
तन्हाई में तुम्हारा हूँ
न सोता हूँ न रोता हूँ
आँखों के नीचे निशान छोड़ता हूँ
ख़ुशियों का अपमान करता 
दुखों में तेरा नाम जपता हूँ
मैं हूँ बदनाम तेरे इश्क़ में
तेरे इश्क़ को ही काम समझता हूँ
तेरा चेहरा दिखता है मुझे हर जगह
हर वक़्त मैं तुम्हेंं ख़ुद में रचता हूँ
कभी नहीं कहूँगा अलविदा तुझे
मिलोगी जब तुम्हें ‘हाय प्रीतो’ कहूँगा। 

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