अब मैं चाहता नहीं

01-12-2024

अब मैं चाहता नहीं

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 266, दिसंबर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

अब मैं चाहता नहीं कि तुम लौट आओ
बेवजह जीने की उम्मीद लाओ
अब एकांत बसर मैं करता हूँ 
अपनी ही रातों में मैं जगता हूँ। 
 
अब मैं चाहता नहीं कि सुबह हो
दिल में कोई आस जगे नज़र मेरी दरवाज़े पर टिके
अब मैं तुझ से नफ़रत करता हूँ
मैं तुझ पर नहीं अब तेरी यादों पे मरता हूँ। 
 
अब मैं चाहता ही नहीं कि मेरे ग़म मुझसे अलग हों
मेरा दिल साफ़ हो मुझे तुझ से फिर से मोहब्बत हो
अब मैं तुझे एक पल भी याद नहीं करता हूँ
मैं मरता नहीं अब सुकून से जीता हूँ। 
 
अब मैं चाहता ही नहीं कि तुमसे मुलाक़ात हो
तेरे इंतज़ार में मेरा फिर से घंटों समय बर्बाद हो
अब जाकर जीवन को मैंने पहचाना है
किसी हसीना से नहीं अब ख़ुद से प्यार जताना है॥

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