एक लड़की

15-01-2025

एक लड़की

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 269, जनवरी द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

एक लड़की है अलबेली सी
जिस गाँव में रहती है वहाँ से सदाबहार, गुड़हल, 
रातरानी के फूलों की ख़ुश्बू नहीं आती 
वहाँ से निमकौरी की तीक्ष्ण गंध, महुए की बास, 
आम के बौर की भीनी भीनी महक आती है
अक्सर कुछ लोकगीत गुनगुनाते दिखाई देती है
इठलाती बलखाती सरसों के फूलों से शृंगार करती
मटमैला रंग, लालटेन की रोशनी सी चमक
जुगनूओं संग खेलती, गौरैया संग उड़ती
मेठक की नाद पर नृत्य करती 
जब जब गया मैं उसके घर
अपनी सारी शरारतों से मुझे अवगत कराती
कभी अँगूठा दिखाती, कभी जीभ चिढ़ाती
उसकी सारी शैतानियाँ मुझे अच्छी लगती हैं
एक वही अब मुझको सच्ची लगती है। 

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