हैप्पी बर्थडे टू बॉस के ऑगी जी!
डॉ. अशोक गौतमजैसे ही ऑफ़िस में बॉस की ओर से निमंत्रण पत्र कम नोटिस सर्कुलेट हुआ—अपने हर आम और ख़ास अधीनस्थ को सूचित किया जाता है कि इसी हफ़्ते शुक्रवार को मेरे मतलब, बॉस के डियरेस्ट ऑगी का पहला हैप्पी बर्थडे है। इस अवसर पर लंच के लिए सारा स्टाफ़ ऑफ़िस के स्टाफ़ रूम में सादर आमंत्रित है।
तो यह निमंत्रण कम नोटिस स्टाफ़ में सर्कुलेट होते ही पूरे ऑफ़िस में बिजली का करंट दौड़ गया। एक तो बॉस के ऑगी जी का हैप्पी बर्थडे और वह भी पहला। कइयों को पता ही नहीं था कि बॉस के पास घर में ऑगी जी भी हैं।
निमंत्रण पत्र कम नोटिस सर्कुलेट होते ही सारा ऑफ़िस बाहरी तौर पर आपसी बैर विरोध छोड़ बॉस के ऑगी जी का हैप्पी बर्थडे मनाने के लिए अधीर हो उठा। इस बहाने जो बॉस के नज़दीक थे, वे बॉस के और नज़दीक होना चाहते थे और जो उनकी गुड बुक्स में नहीं थे, वे उनकी गुड बुक्स में आना चाहते थे। मतलब, इस बहाने सब एक बार फिर अपनी अपनी गोटियाँ फ़िट करने की फ़िराक़ में ताक में।
निमंत्रण पत्र कम नोटिस सर्कुलेट होते ही ऑफ़िस स्टाफ़ सचिव ने तब आनन फ़ानन में स्टाफ़ मीटिंग बुला डाली लंच टाइम में ही। बीस जनों के स्टाफ़ की स्टॉफ़ मीटिंग में दबी सर्वसम्मति से तय हुआ कि स्टाफ़ का हर सदस्य आपसी मतभेद भुला अपने अथक प्रयासों से बॉस के ऑगी जी के हैप्पी बर्थडे को बॉस के हैप्पी बर्थडे से भी अधिक यादगार बनाएगा ताकि ऑगी जी को अपना पहला हैप्पी बर्थडे तब तक याद रहे जब तक वह कुत्ता योनि में पैदा होता रहे।
समय कम था, सो, आनन फ़ानन में स्टाफ़ मीटिंग बुलाई गई। स्टाफ़ सेक्रेटरी ने तब बॉस की बीवी जी के हैप्पी बर्थडे वाली कमेटियों को ही ऑगी जी के हैप्पी बर्थडे में कान्टीन्यू करने की सोचते स्टाफ़ सदस्यों को संबोधित करते कहा, “हे मेरे प्यारे स्टाफ़ वासियो! आपको यह शुभ सूचना तो मिल ही गई होगी कि परसों बॉस के इकलौते ऑगी श्री का हैप्पी बर्थडे है और वह भी पहला। और इस अवसर पर बॉस ने हमें अपने ऑगी जी के बर्थडे पर सादर आमंत्रित भी किया है। हैप्पी बर्थडे बॉसों की फ़ैमलियों के होते हैं और बॉसों के अधीनस्थों के केवल बर्थडे। अब इससे बढ़कर आदर सम्मान की बात हमारे लिए और क्या हो सकती है?
“साथियो! हमारे पास समय कम है और काम अधिक। पर इतिहास गवाह है कि हमने हर बार कम समय में अपनी पूरी ताक़त लगा हर बॉस की फ़ैमिली के हर सदस्य के हैप्पी बर्थडे को सफल तरीक़े से आयोजित करने का लक्ष्य मज़े से हासिल किया है।
“जैसे न कहते हुए भी हमें हर बॉस से कोई न कोई उम्मीद हमेशा बनी रहती है, उसी तरह न कहते हुए भी बॉस को हमसे उम्मीद तो बनती ही है न! इसलिए बस, अबके भी हमें बॉस की कसौटी पर हर बार की तरह हर हाल में खरे उतरना है।
“ऐसे में बॉस चाहें या न, पर हमारा यह नैतिक कर्तव्य बनता है कि हम अपने बॉस के ऑगी जी के हैप्पी बर्थडे को उनके हैप्पी बर्थडे से भी अधिक अविस्मरणीय बनाएँ ताकि जब तक बॉस के ऑगी जी कुत्ता योनि में जन्म लें तब तक उन्हें हमारे द्वारा मनाया उनका बर्थडे याद रहे।
“तो आपको यह बताते हुए अब मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है कि हमने जो बॉस की बीवीजी का हैप्पी बर्थडे मनाने के लिए कमेटियाँ बनाई थीं, मैं चाहता हूँ कि उन्हीं कमेटियों को ही इस हैप्पी बर्थडे के लिए भी कान्टीन्यू किया जाए। ये सब इसलिए कि पिछली हर कमेटी ने बड़ी शिद्दत से अपना अपना दायित्व बॉस की बीवीजी के प्रति निभाया था। तब हमारी कमेटियों की कर्तव्य निष्ठा को देख बॉस हमारे काम को देख इतने द्रवित हुए थे कि . . अबके मैं आपकी कृपा से उससे भी अधिक प्रसन्नता बॉस के चेहरे पर देखना चाहता हूँ। हमारे प्रयासों से जब जब बॉस ख़ुश लगते हैं तो ‘बींग अ स्टाफ़ सेक्रेटरी’ मत पूछो मुझे कितनी प्रसन्नता होती है! तब मैं ख़ुशी से पागल हो उठता हूँ। पर मेरे उस हर पागलपन के पीछे आपकी ही मेहनत होती है साथियो! इसलिए पिछले सफल अनुभव को देखते हुए कमेटी के को-आर्डिनेटर, मेंबर पिछले ही रहेंगे। हाँ! किसीको किसी कमेटी में मेंबर रहने, किसीके अंडर काम करने में कोई आपत्ति हो तो उसे चेंज करने पर सहानुभूति पूर्वक विचार किया जा सकता है।
“बस, अबके हर हाल में केवल ये ध्यान ये रहे कि पिछली बार हैप्पी बर्थडे बॉस की बीवीश्री का था, अबके उनके ऑगी जी का है। सो, गिफ़्ट, केक और अपनी ड्रेस के बारे में हम उसीके अनुरूप रहेंगे ताकि बॉस के ऑगी जी को हमसे मिलकर अजीब न लगे। वैसे तो हम हर बॉस की फ़ैमिली के हर सदस्य का हैप्पी बर्थडे मनाने में दक्ष हैं, पर अबके यह हैप्पी बर्थडे ज़रा अलग है। ऐसे में मैं दोनों हाथ जोड़ एक ख़ास अनुरोध आपसे करना चाहूँगा, और वह यह कि इस हैप्पी बर्थडे पर गाए जाने वाले बर्थडे सांग के बीच में बॉस के ऑगी जी को लाइवली माहौल देने के लिए भौं भौं करना न भूलें। बॉस को लगे या न, पर उनके ऑगी जी को हर हाल में लगे कि हम कहीं न कहीं उसी जैसे हैं।
“अब मेरी हर कमेटी से मेरी विनम्र गुज़ारिश रहेगी कि वह अभी से दिन-रात एक करते आयोजन को सफल बनाने में जी जान से जुट जाए। बॉस को बार-बार पूछ तंग करने की, पूछने की ज़रूरत नहीं। उन्हें स्टाफ़ सेक्रेटरी होने के नाते मैं सब बता दूँगा। वैसे उन्हें पता भी है। बॉस के ऑगी जी का बर्थडे सफल बनाने के लिए जिसे जो बेस्ट करना हो, बिना डर के करे। फ़ंड की कोई कमी आड़े नहीं आएगी। जहाँ जाना हो जाए। पर प्रोग्राम ऐसा हो कि बॉस के ऑगी जी वाह! वाह! कर उठें। उन्हें भी लगे कि उनके मालिक के नौकर उनके मालिक से कम नहीं। वे उनके मालिक के लिए ही नहीं, उनके मालिक के ऑगी जी के लिए भी अपना सब कुछ न्यौछावर कर सकते हैं।
“और अंत में, जो सबसे महत्त्वपूर्ण है, हर बार की तरह अबके भी बॉस के ऑगी जी के हैप्पी बर्थडे का सारा ख़र्चा स्टाफ़ फ़ंड में से ही ख़र्च किया जाएगा। जो पैसे की कमी हुई तो अगले महीने की पहली तारीख़ को स्टाफ़ फ़ंड पाँच सौ के बदले हज़ार लिया जाएगा। स्मरण रहे, बॉस की ख़ुशी है तो हम हैं। बॉस के ऑगी जी ख़ुश हैं तो हम हैं। बॉस के बीवी जी ख़ुश हैं तो हम हैं।”
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
-
- रावण ऐसे नहीं मरा करते दोस्त
- शर्मा एक्सक्लूसिव पैट् शॉप
- अंधास्था द्वारे, वारे-न्यारे
- अंधेर नगरी फ़ास्ट क़ानून
- अजर अमर वायरस
- अतिथि करोनो भवः
- अपने गंजे, अपने कंघे
- अब तो मैं पुतला होकर ही रहूँगा
- अभिनंदन ग्रंथ की अंतिम यात्रा
- अमृत अल्कोहल दोऊ खड़े . . .
- असंतुष्ट इज़ बैटर दैन संतुष्ट
- अस्पताल में एक और आम हादसा
- आज्ञाकारी पति की वाल से
- आदमी होने की ज़रूरी शर्त
- आदर्श ऑफ़िस के दरिंदे
- आश्वासन मय सब जग जानी
- आसमान तो नहीं गिरा है न भाई साहब!
- आह प्रदूषण! वाह प्रदूषण!!
- आह रिटायरी! स्वाहा रिटायरी!
- इंस्पेक्टर खातादीन सुवाच
- उठो हिंदी वियोगी! मैम आ गई
- उधार दे, कुएँ में डाल
- उनका न्यू मोटर वीइकल क़ानून
- उफ़! अब मेरे भी दिन फिरेंगे
- एक और वैष्णव का उदय
- एक निगेटिव रिपोर्ट बस!
- एक सार्वजनिक सूचना
- एप्पों की पालकी! जय कन्हैया लाल की!
- ऐन ऑफ़िशियल प्लांटेशन ड्राइव
- ऑफ़िस शोक
- ओम् जय उलूक जी भ्राता!
- कंघीहीन भाइयों के लिए ख़ुशख़बरी!
- कवि की निजी क्रीड़ात्मक पीड़ाएँ
- काम करे मेरी जूत्ती
- कालजयी का जयंती लाइव
- कालजयी होने की खुजली
- कुक्कड़ का राजनीतिक शोक
- कुछ तीखा हो जाए
- कुशल साहब, ग़ुसल लाजवाब
- केवल गाँधी वाले आवेदन करें
- क्षमाम्! क्षमाम्! चमचाश्री!
- खानदानी सांत्वना छाप मरहमखाना
- गधी मैया दूध दे
- गर्दभ कैबिनेट हेतु बुद्धिजीवी विमर्श
- चमचा अलंकरण समारोह
- चरणयोगी भोग्या वसुंधरा
- चला गब्बर बब्बर होने
- चार्ज हैंडिड ओवर, टेकन ओवर
- चुनाव करवाइए, कोविड भगाइए
- छगन जी पहलवान लोकतंत्र की रक्षा के अखाड़े में
- जनतंत्र द्रुत प्रगति पर है
- जाके प्रिय न बॉस बीवेही
- जी ज़नाब का मिठाई सेटिंग दर्शन
- जैसे तुम, वैसे हम
- जो सुख सरकारी चौबारे वह....
- ज्ञानपीठ कोचिंग सेंटर
- टट्टी ख़त्म
- ट्रायल का बकरा मैं मैं
- ट्रिन.. ट्रिन... ट्रिन... ट्रिन...
- ठंडी चाय, तौबा! हाय!
- ठेले पर वैक्सीन
- डेज़ी की कमर्शियल आत्मकथा
- डोमेस्टिक चकित्सक के घर कोराना
- तीसरे दर्जे का शुभचिंतक
- त्रस्त पतियों के लिए डायमंड चांस
- त्रासदी विवाहित इश्क़िए की
- दंबूक सिंह खद्दरधारी
- दीर्घायु कामना को उग्र बीवी!
- धुएँ का नया लॉट
- न काहू से दोस्ती, न काहू की ख़ैर
- नंगा सबसे चंगा
- नई नाक वाले पुराने दोस्त
- नमः नव मठाधिपतये
- नशा मुक्ति केंद्र में लेखक
- नो कमेंट्स प्लीज!
- नक़लं परमं धर्मम्
- पधारो म्हारे मोबाइल नशा मुक्ति धाम
- परसाई की पीठ पर गधा
- पशु-आदमी भाई! भाई!
- पहली बार मज़े
- पार्टी सौभाग्य श्री की तलाश
- पावर वालों का पावरफ़ुल कुत्ता
- पुरस्कार पाने का रोडमैप
- पुरस्कार रोग से लाचार और मैं तीमारदार
- पुल के उठाले में नेता जी
- पेपर लीकेज संघ ज़िंदाबाद!
- पैदल चल, मस्त रह
- पोइट आइसोलेशन में है वसंत!
- पोलिंग की पूर्व संध्या पर नेताजी का उद्बोधन
- फिर हैप्पी इंडिपेंडेंस डे
- फोटुओं और कार्यक्रमों का रिश्ता
- बंगाली बाबा परीक्षक वशीकरण वाले
- बधाई हो बधाई!!
- बाबा के डायपर और ऑफ़िस में हाइपर
- बुद्धिजीवी मेकर
- बूढ़ों के लिए ख़ुशख़बरी!
- बेगम जी के उपवास में ख़्वारियाँ
- बैकुंठ में जन्म लेती कुंठाएँ
- ब्लैक मार्किटियों की गूगल मीट
- भगौड़ी बीवी और पति विलाप
- भाड़े की देशभक्ति
- भोलाराम की मुक्ति
- मंत्री जी इंद्रलोक को
- मच्छर एकता ज़िंदाबाद!
- मातादीन का श्राप
- मातादीनजी का कन्फ़ैशन
- माधो! पग-पग ठगों का डेरा
- मार्जन, परिमार्जन, कुत्ता गार्जियन
- मालपुआमय हर कथा सुहानी
- मास्टर जी मंकी मोर्चे पर
- मिक्सिंग, फिक्सिंग और क्या??
- मुहब्बत में राजनीति
- मूर्तिभंजक की मूर्ति का चीरहरण
- मेरी किताब यमलोक पहुँची
- मेरे घर अख़बार आने के कारण
- मॉर्निंग वॉक और न्यू कुत्ता विमर्श
- मोबाइल लोक की जय!
- यमराज के सुतंत्र में गुरुजी
- यान के इंतज़ार में चंद्र सुंदरी
- राइटरों की नई राइटिंग संहिता
- राजनीतिक निवेश में ऐश ही ऐश
- रामदास, ठंड और बयानू सिकंदर
- रिटायरमेंट का मातम
- रिटायरियों का ओरिएंटेशन प्रोग्राम
- रैशनेलिटि स्वाहा
- लिंक बनाए राखिए . . .
- लिटरेचर फ़र्टिलिटी सेंटर
- लो, कर लो बात!
- वदाइयाँ यार! वदाइयाँ!
- विद द ग्रेस ऑफ़ ऑल्माइटी डॉग
- विनम्र श्रद्धांजलि पेंडिंग-सी
- वीवीआईपी के साथ विश्वानाथ
- वैक्सीन का रिएक्शन
- वैष्णवी ब्लड की जाँच रिपोर्ट
- व्यंग्य मार्केटिंग में बीवियाँ
- शर्मा जी को कुत्ता कमान
- शुभाकांक्षी, प्यालीदास!
- शेविंग पाउडर बलमा
- शोक सभा उर्फ टपाजंलि समारोह
- सजना है मुझे! हिंदी के लिए
- सम्मान लिपासुओं के लिए शुभ सूचना
- सम्मानित होने का चस्का
- सर जी! मैं अभी भी ग़ुलाम हूँ
- सरकार का पुतला ज़िंदाबाद!
- सर्व सम्मति से
- सामाजिक न्याय हेतु मंत्री जी को ज्ञापन
- साहब और कोरोना में खलयुद्ध
- साहित्य में साहित्य प्रवर्तक अडीशन
- सूधो! गब्बर से कहियो जाय
- सॉरी सरजी!
- स्टेट्स श्री में कुत्तों का योगदान
- स्याही फेंकिंग सूची और तथाकथित साली की ख़ुशी
- स्वर्गलोक में पारदर्शिता
- हँसना ज़रूरी है
- हम हैं तो मुमकिन है
- हाथ जोड़ता हूँ तिलोत्तमा प्लीज़!
- हादसा तो होने दे यार!
- हाय! मैं अभागा पति
- हिंदी दिवस, श्रोता शून्य, कवि बस!
- हिस्टॉरिकल भाषण
- हैप्पी बर्थडे टू बॉस के ऑगी जी!
- ख़ुश्बू बंद, बदबू शुरू
- ज़िंदा-जी हरिद्वार यात्रा
- ज़िम्मेदारों के बीच यमराज
- फ़र्ज़ी का असली इंटरव्यू
- फ़ेसबुकोहलिक की टाइम लाइन से
- फ़्री का चंदन, नो चूँ! नो चाँ नंदन!
- फ़्री दिल चेकअप कैंप में डियर लाल
- कविता
- पुस्तक समीक्षा
- कहानी
- विडियो
-
- ऑडियो
-