मंत्री जी इंद्रलोक को
डॉ. अशोक गौतम
जबसे कई संगीन वारदातों को अंजाम देने वाले वे लोकतंत्र के शुभ चिंतक हुए हैं, जनता के हित के लिए आठ पहर चौबीस घंटे कहीं न कहीं यात्रा पर रहते हैं। कभी इस देश तो कभी उस देश। कभी इस लोक तो कभी उस लोक। कभी चीन तो कभी जापान, कभी इंग्लैंड तो कभी ताइवान। कभी कैनेडा तो कभी फ़िनलैंड। कभी सोमपुरी तो कभी मंगलपुरी। कभी बुधाकिस्तान तो कभी इतवारेन। कभी गुरुटेन तो कभी शुक्रलैंड। अगले महीने उनका राहुलैंड पर जाने का प्लान है। उसके बाद वहाँ से आते आते वे केतुस्तान जाएँगे। उनका लक्ष्य है कि जब तक वे अपने पद पर रहें तब तक पूरा ब्रह्मांड भ्रमण कर लें, जनता के पैसे पर। कोई भी देश, लोक उनके चरणों से अछूता न रहे। इसलिए वे जनता के सच्चे हितैषी हैं सो, किसी न किसी बहाने, कोई न कोई बहाना निकाल किसी न किसी लोक में अपने विशेष विमान से जनता को वहाँ से सपने लाने के लिए सरकारी भ्रमण पर जाते रहते हैं और वहाँ का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाते रहते हैं। जनता के पैसे से वे अब तक जनहित में अतल, वितल, सुताल, रसातल, तलातल, महातल, पाताल भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक और ब्रह्मलोक के ट्रिप कर चुके हैं।
पिछले दिनों जब देश की वित्तीय स्थिति ख़राब थी तो वे देश की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए कुबेर के साथ एमओयू साइन करने कुबेरलोक तक जा पहुँचे थे। इसे कहते हैं राष्ट्र भक्ति! राष्ट्र भक्ति की शक्ति जन सेवकों को कहाँ-कहाँ नहीं घूमने भेज देती है? उनका रोम-रोम जनता के लिए समर्पित होता है या कि जनता का रोम-रोम उनके पास गिरवी होता है, वे जानें या जनता के ख़ुदा। अपने इस कार्य काल में वे जनता पर और क़र्ज़ चढ़ाना चाहते हैं। पता नहीं, फिर जनता पर क़र्ज़ चढ़ाने का मौक़ा मिले या न!
इधर अब के मानसून तबाही मचाता आया जो बारहों महीने हाहाकार करने वाली जनता एक और हाहाकार कर उठी। जनता की हाहाकार सुन उनका मन एक बार फिर ख़ुशी से पसीजा। तब उनकी आँखों में मानसून के प्रति वो ग़ुस्सा दिखा कि पूछो ही मत। उन्होंने रुटीनन अपनी प्रेस कॉन्फ़्रेंस के माध्यम से मानसून को धमकी दी। उन्होंने अपनी प्रेस कॉन्फ़्रेंस में मानसून से साफ़ कहा कि जो वह उनके वोटरों को सताना नहीं छोड़ेगा तो वे उसे कोर्ट में खुली चुनौती देंगे। उस पर उनकी जनता को परेशान करने की पुलिस थाने में एफआई आर लिखवाएँगे। जनता एक बार फिर उनका अपने प्रति स्नेह देख द्रवीभूत हो उठी।
पर मानसून नहीं माना तो नहीं माना। इस बात का उन्हें भी पता था कि जब उनके कहने से उनकी बीवी तक नहीं मानती तो मानसून कहाँ मानेगा। पर यह अपने हित में करना पड़ा। करना पड़ता है। जनता का अपने ऊपर विश्वास बनाए रखने के लिए। लोकतंत्र दिखावे का ही तो तंत्र है। बहकावे का ही तो तंत्र है। जो पब्लिक को सब्ज बाग़ दिखाए वही सफल नेता। जो पब्लिक को जितना बहकाए, वह उतना ही लोकप्रिय नेता। सच बोलने वाले न राजनीति में चलते हैं न घर में। वे सड़क से संसद तक हर जगह बहिष्कृत होते हैं। क़दम क़दम पर उनकी फ़ज़ीहत होती है। इसलिए सच बोलने वालों का समाज के विनाश के लिए बहिष्कार होना बहुत ज़रूरी होता है।
अचानक उनके माइंड में आइडिया आया कि क्यों न तबाही मचाते मानसून से बात करने के बदले उसके मालिक से ही सीधी बात कर ली जाए और इंद्रलोक का जनहित में सरकारी टूअर हो जाए। वैसे भी चुनावी साल चला है। लगे हाथ सौ पचास शिलान्यास और बचे लोक हो जाएँ तो . . . पता नहीं चुनाव के बाद फिर . . .।
इंद्र लोक के एक से एक रंगीन, नमकीन क़िस्से उन्होंने स्कूल टाइम में स्कूली किताबों की जगह ख़ूब पढ़े थे। इस बहाने इंद्रलोक की अप्सराओं से भी फ़ेस टू फ़ेस मुलाक़ात हो जाएगी और इंद्र से सम्बन्ध भी बन जाएँगे। हर ज़रा से भी समझदार को ऊँचे लोगों से पद पर रहते निःसंकोच मधुर सम्बन्ध बना लेने चाहिएँ। कुर्सी से उतरने के बाद ये सम्बन्ध बड़े काम आते हैं।
जैसे ही उनकी बीवी के कानों में यह ख़बर पड़ी कि अबके वे जनहित में मानसून की बदतमीज़ी को इंद्र के दरबार में चुनौती देने के बहाने इंद्रलोक की सैर करने जा रहे हैं तो उनकी बीवी उनके साथ जाने को उनके लाख मना करने के बाद भी उनसे पहले तैयार हो गई। वे कम से कम इंद्र लोक में अपने पति को अकेला नहीं भेजना चाहती थीं। उनकी रग रग से वाक़िफ़ जो थीं। पर वे तो इंद्रलोक के ट्रिप पर अपने साथ केवल अपनी पीए को ले जाना चाहते थे। इंद्रलोक में मंत्री के साथ मंत्री की बीवी का क्या काम! वे तो मृत्युलोक तक की मीटिंगों में अपनी बीवी को अपने साथ ले जाने के पक्ष में नहीं होते।
और वे अपनी पीए को साथ ले इंद्र से शिष्टाचार भेंट हेतु सरकारी विमान में रंगीनियों का माल भर अप्सराओं के निजी सपने लेते इंद्रलोक को हवा हो गए। जाते जाते एयरपोर्ट पर उन्होंने प्रेस को संबोधित करते कहा, “मित्रो! हम जनहित में इंद्रलोक जा रहे हैं। इंद्र से बात करने कि वह हमारे सब्र का और इम्तिहान न ले। हम जनता के हित के लिए किसी भी लोक तक खा . . . सॉरी जा सकते हैं। देखते हैं, हमें इंद्र लोक में जाने से विपक्ष कैसे रोकता है। हमारे वहाँ पहुँचने से पहले इंद्र तक मीडिया वाले हमारा वहाँ जाने का मक़सद पहुँचा दें कि अगर हमें वहाँ ग़ुस्सा आ गया तो . . . हमारे पास बात करने के सारे विकल्प खुले हैं और खुले रहेंगे। अपनी जनता के हितों की रक्षा के लिए तो हम नरक में भी जा सकते हैं। यमराज से भी दो दो हाथ कर सकते हैं। भगवान हमें लोकतंत्र की रक्षा करने की शक्ति बख्शता रहे बस!” और उनका विमान इंद्रलोक की ओर रवाना हो गया।
देखते हैं, अब वे वहाँ क्या गुल खिलाकर आते हैं।
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