पेपर लीकेज संघ ज़िंदाबाद!
डॉ. अशोक गौतमअबके ज्यों ही एक बार फिर पेपर में नक़ल करने वालों, पेपर सॉल्व करने के इंतज़ार में बैठे विशेषज्ञों से पहले पेपर लीक करने वाले अख़बारों टीवी की हेड लाइन बने तो ऑल इंडिया पेपर लीकेज संघ के राष्ट्रीय कार्यालय में हड़कंप मच गया। आनन-फ़ानन में ऑल इंडिया पेपर लीकेज संघ के प्रधान ने गुप्त फ़ाइव स्टार होटल में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की आपात बैठक बुलाई। ज्यों ही बैठक में ऑल इंडिया पेपर लीकेज संघ की कार्यकारिणी के सारे सदस्य पहुँचे तो ऑल इंडिया पेपर लीकेज संघ के राष्ट्रीय प्रधान ने बिना किसी भूमिका के बैठक को संबोधित करना शुरू किया:
“हे मेरे ऑल इंडिया पेपर लीकेज संघ के माननीयो सम्मानीयो! हालाँकि आपको टीवी, अख़बारों के माध्यम से यह तो पता चल ही गया होगा कि अबके एक महीने में दो-दो बार सरकार की गोपनीय शाखाओं में हमारे लिए काम करने वाले हमारे वफ़ादार किसीकी साज़िश का शिकार हुए हैं, जो हैरत की बात है। पेपर तो हम पहले भी लीक करवाते थे, पर तब ऐसा नहीं होता था। अब पता नहीं ऐसा क्यों हो रहा है? यह चिंतन का विषय है, गंभीर चिंतन का विषय है। इसी चिंतन को लेकर आप सब नेशनल बुद्धिजीवियों के साथ यह आपात बैठक रखी गई है।
“बींग ए लाइफ़ टाइम प्रेसीडेंट ऑफ़ आल इंडिया ऐसोसिएशन फ़ॉर पेपर लीकेज आपको यह बताना भी मेरा नैतिक दायित्व बनता है कि पता नहीं इन दिनों हमें किसकी बुरी नज़र लग रही है? कुछ समाज विरोधी तत्त्व हमारे विरुद्ध साज़िश रचने में अबके फिर कामयाब हो गए हैं जिन्होंने पेपर लीकेज की स्वस्थ परंपरा की गरिमा को एक बार फिर ठेस पहुँचा हमें ललकारा है, सरकारी विभागों में अपनी नौकरी हथेली पर रख हमारे लिए काम करने वालों की अस्मिता को ललकारा है। इसके लिए इन समाज विरोधी तत्त्वों की जितनी भर्त्सना की जाए कम है। पर हम भी हम हैं! हम उनके किसी भी नापाक इरादे को पाक हरगिज़ नहीं होने देंगे।
मित्रो! पता नहीं हमसे पेपर लीक करने के बाद ज़रूरतमंद तक पहुँचाने में अब ख़ामी कहाँ रहने लगी है जो इसका ख़म्याज़ा हमारे साथ साथ हमारे प्रिय बेनिफिश्रियों को भी भुगतना पड़ रहा है। हमें इस बात का क़तई दुःख नहीं कि हमारी वजह से जी जान से तैयारी करने वाले लाखों योग्यों को परीक्षाओं में बैठने से रुकना पड़ता है। पर हमें इस बात का दुःख ज़रूर है कि हमसे लीक पेपर लिए व्यवस्था के होनहारों को प्रशासन द्वारा यों ही तंग किया जाता है। इसके लिए हम माननीय कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएँगे। हम अपने संघ के बदला लेने के उद्देश्य से पकड़े गए अपने निरापद बंधुओं को छुड़वाने के लिए जहाँ तक होगा वहाँ तक जाएँगे। इसके लिए भले ही हमें पैसा पानी की तरह क्यों न बहाना पड़े। हमारे पास पैसे की कमी नहीं! हम जानते हैं कि पैसे से यहाँ सब कुछ ख़रीदा जा सकता है।
मित्रो! ऑल इंडिया पेपर लीकेज संघ पुलिस की भी हमारे विरुद्ध हो रही एक तरफ़ा अनैतिक कार्यवाहियों की भी खुलकर ही नहीं, कड़े से कड़े शब्दों में निंदा करता है। हमारे संस्कारी सज्जनों को नाहक़ बदनाम करते जगह-जगह हमारे ठिकानों पर दबिश देने वाले आज पता नहीं ये क्यों भूलने लगे हैं कि वे भी हमारे ही लीक करवाए पेपरों का सहारा लेकर इन पदों पर विराजमान हुए हैं। न तब हम पेपर लीक करवा उन्हें उपलब्ध करवाते, न आज वे हमारा ये हाल करते। पर अपना बुरा वक़्त यहाँ सब भूल जाते हैं। जग की यही रीत है मित्रो! उन्हें अपना बुरा वक़्त आज याद हो या न, पर हमें तो उनका वह बुरा वक़्त आज भी याद है। तब वे लीक हुए पेपर को पाने के लिए उफ़! कितने फड़फड़ाते थे?
मैंने प्रदेश स्तर के संघ के प्रधानों को स्पष्ट आदेश भेज दिए हैं कि जिन-जिन ने हमारे लीक पेपर को ख़रीदने के बहाने हमसे दग़ा किया है, हम उन्हें तो उन्हें, भविष्य की तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाली उनकी किसी भी पुश्त के बंदे को पेपर लीक करवाने के बाद किसी भी क़ीमत पर पेपर उपलब्ध नहीं करवाएँगे। फिर देखते हैं वे कैसे सम्मानीय सरकारी पदों पर पदियाते हैं?
बंधुओ! वैसे अब मुझे कुछ-कुछ लगने लगा है कि भविष्य में हमें प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक करवाने के लिए अतिरिक्त सावधानियाँ बरतनी होंगी। भविष्य में अब ज़रूरतमंद पेपर क्रेताओं तक पेपर पहुँचाने से पहले उनके चरित्र की भली-भाँति जाँच करनी होगी।
मित्रो! जिन्होंने हमसे भूसे के भाव पेपर ख़रीद हमें धोखा देकर हमें बदनाम करने की नाकाम कोशिश की है, मैंने राज्य स्तर पर अपने ख़ुफ़िया सेवकों को आदेश दिए हैं कि वे उन लोगों की लिस्ट जितनी जल्दी हो सके बना हमें उपलब्ध करवाएँ ताकि हम उन पर क़ानूनी कार्यवाही करवा अपने को समाज में एक बार फिर दूध का धुला साबित करवा सकें ताकि उनको यह साफ़-साफ़ मैसेज जाए कि पेपर लीक करने कराने वालों से पंगा लेने का मतलब क्या होता है।
मित्रो! लीकेज यहाँ कहाँ नहीं! यहाँ पीएम कार्यालय से फ़ाइलें लीक हो जाती हैं। यहाँ सीएम कार्यालय से गुप्त फ़ाइलें लीक हो जाती हैं। यहाँ रक्षा संबंधी गुप्त दस्तावेज़ों की फ़ाइलें लीक हो जाती हैं। ऐसा सब इसलिए होता है कि लीकेज हमारी जीवन शैली का अभिन्न अंग है। हम अपना सब कुछ रोक सकते हैं, पर लीकेज नहीं। सच पूछो तो लीकेज का जन्म उसी दिन हो गया था जिस दिन पाइपों का उद्भव हुआ था।
मित्रो! पेपर तो पहले भी लीक होते थे, पर तब इस पावन काम के लिए संगठन नहीं बने थे। उस वक़्त भी मास्साब क्लास में अपने मेंटली वीक सेक्शन को पेपर बना कर बता देते थे। परन्तु जबसे इस काम ने संगठनात्मक रूप लिया है, तबसे ही हम कुछ समाज विरोधियों की आँखों की किरकिरी होने लगे हैं।
बंधुओ! पेपर बनाना उनका अधिकार है तो पेपर लीक करवाना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार! वह पेपर ही क्या जो लीक न हो। पेपर की सार्थकता उसके बनने में है तो पेपर बनने की सार्थकता उसके लीक होने में। अधिकारों का मालिक हमें हमारे मौलिक अधिकारों से वंचित कर सकता है, पर हमारे जन्म सिद्ध अधिकारों से नहीं।
याद रहे मित्रो! हम पेपर लीक करवा कोई समाज विरोधी काम नहीं करते। इसलिए ग़लती से भी ऐसी साज़िश का शिकार होने पर मन में कभी कोई हीनता मत लाइएगा। समाज में ग़लत तो वे करते हैं जो पेपर लीक होने का पता लगने के बाद शोर मचा-मचा समाज में, युवाओं में अराजकता, अफ़रा-तफ़री का माहौल पैदा करते हैं। पता है, इससे एक उम्मीद लिए पेपर देने वालों को कितनी मानसिक परेशानी होती है? वे कितने परेशान होते हैं? सरकार के कितने कहने को पारदर्शी इंतज़ामों पर पानी फिर जाता है? अरे चुप रहो! लीक हो जाने के बाद भी हो जाने दो पेपर! इस बहाने कम से कम पेपर तो हो जाएगा। शेष तो वही होना है जो होता आया है।
मित्रो! हम समाज के उस तबक़े को ऊपर उठाना चाहते हैं जो अपने आप खड़ा भी नहीं हो सकता। जो दिमाग़ी तौर पर ग़रीब होने के चलते ऊँचे सरकारी पदों से सदा वंचित रहा है। ऐसे वंचितों को जो हम सरकारी नौकरी का सहर्ष हक़दार बना देते हैं तो बताओ! कौन-सा अपराध करते हैं? योग्यों को इससे दर्द क्यों होता है? उन्हें तो प्रसन्नता होनी चाहिए कि दिमाग़ी तौर पर दिवालिए भी उनके बराबर हो रहे हैं। इसके बिना समतावादी समाज बन पाएगा क्या? योग्यों को तो कोई भी कहीं भी नौकरी मिल जाएगी, पर जो हम इनको पेपर लीक कर उपलब्ध न करवाएँ तो बेचारे इन वंचितों को नौकरी कौन देगा? इसलिए हमारे ख़िलाफ़ साज़िश रच अयोग्यों के पेट पर लात मारने वालों को हम तो ख़ैर माफ़ करेंगे ही नहीं, पर भगवान भी माफ़ नहीं करेंगे, देख लेना। याद रखना, ग़रीब के मुँह से पेपर छीनना सबसे बड़ा अपराध होता है।
फ़्रेंड्स! इससे पहले कि हमारे साज़िश का शिकार हुए अपने कार्यालयों के विश्वस्त माननीयों के साथ ख़ैर, वे कुछ ख़ास करेंगे तो नहीं, फिर भी जो कुछ उनकी नापसंदी का करें, हमें उनसे पहले उनकी रक्षा के लिए सच्ची का कोई ठोस क़दम उठाना होगा। क्योंकि हमें किसी सरकार से कोई लेना-देना नहीं होता। हम किसी एक सरकार के नहीं होते। हम सब सरकारों में होते हैं। हम सब सरकारों के होते हैं। इसलिए हम तमाम सरकारों से माँग करेंगे कि जब हम अपने ऑफ़िसों के बाथरूम की लीकेज को ही नहीं रोक पाते तो पेपर लीकेज के बारे में भी गंभीरता से सोचना अविलंब बंद किया जाना चाहिए। पेपर लीक करवाने वालों को नाहक़ तंग करना बंद किया जाना चाहिए ताकि हम सब अपना कर्त्वय निवर्हन पूरी ईमानदारी से भविष्य में और भी निडर होकर करते रहें। हम तहसील स्तर पर सरकार को यह भी ज्ञापन सौंपेंगे कि हमारे पेपर लीकेज करवाने के बुनियादी हक़ की रक्षा हर हाल में की जाए, हमें ज़लील क़तई न किया जाए। वर्ना हम जो कुछ भी करेंगे, उसके लिए पूरी तरह हर सरकार ज़िम्मेदार होगी, हम नहीं।
जय हिंद! जय लीकेज! जय ऑल इंडिया पेपर लीकेज संघ!!
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