• विशेषांक

    कैनेडा का हिंदी साहित्य
    कैनेडा का हिंदी साहित्य कैनेडा का नाम भारत में और विशेष रूप से पंजाब प्रांत में बहुत आत्मीयता से लिया जाता है।.. आगे पढ़ें
आईना
लेखक: डॉ. आरती स्मित - आईना

साहित्य कुञ्ज के इस अंक में

कहानियाँ

अदला-बदली

  सरिता जब भी श्रेया को देखती, उसके ईर्ष्या भरे मन में सवाल उठता, एक इसका नसीब है और एक उसका। क्या उसका नसीब उसे नहीं मिल सकता?  सरिता के छोटे से फ़्लैट की बालकनी से श्रेया का भव्य बँगला आगे पढ़ें


अब मत आना किन्नी

  छुट्टी का दिन। गर्मी की दोपहर। घर में पड़े रहने की बाध्यता हो जाती है। उनींदापन टूटा नहीं था, जब दरवाज़ा खुलने की आहट हुई। किन्नी हो सकती थी। थी भी वही। हाथ में रुमाल से ढकी प्लेट लिए आगे पढ़ें


एजेंट धोखा दे गया

  हमारे गाँव के चौबे जी, जो पहले भी कई बार छब्बे जी बनने निकल चुके है, पर बदक़िस्मती से हरबार वह दूबे जी ही रह जाते हैं।  इस बार वह छब्बे जी बनने के लिए विदेश जा रहे थे। आगे पढ़ें


और वह चल पड़ी

  यह स्थान पहले छोटा-सा क़स्बा रहा होगा। समय के साथ विकसित होता हुआ शनैः शनैः शहर का रूप ले रहा था। यहाँ मिश्रित आबादी है। एक तरफ़ मध्यम वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग के साथ ही अत्यन्त निर्धन वर्ग के आगे पढ़ें


काष्ठ प्रकृति

  जब मेरी चेतना लौटी तो मैंने अपने आपको अस्पताल के बिस्तर पर पाया।  चिंतित चेहरों की भीड़ में अपने कॉलेज के प्रिंसिपल को देखकर मैं स्वयं चिंता एवं भय से भर उठा।  जब कभी भी हमारे कॉलेज के किसी आगे पढ़ें


गिरिकोकोला 

  मूल कहानी: गिरिकोकोला; चयन एवं पुनर्कथन: इतालो कैल्विनो अंग्रेज़ी में अनूदित: जॉर्ज मार्टिन (गिरिकोकोला); पुस्तक का नाम: इटालियन फ़ोकटेल्स; हिन्दी में अनुवाद: सरोजिनी पाण्डेय    किसी ज़माने में, किसी शहर में एक व्यापारी था, उसकी तीन बेटियाँ थीं। एक आगे पढ़ें


गोलू और जंगल की सैर

  “माँ . . . सोने दो न . . . ऊँ . . . ऊँ, . . . मैं अभी तो बच्चा हूँ न?” सुन सुनकर परेशान हो गई थी गबरी।  गोलू अब पूरी तरह से बड़ा हो गया आगे पढ़ें


चीते की सवारी

  1.  रात माँ फिर दिखाई देती है। लहू से लथपथ . . . लाल आग में जलती हुई . . .  “हम माँ को क्यों जला रहे हैं?” मैं पापा से पूछता हूँ . . .  “यह लहू तभी आगे पढ़ें


जानलेवा जादू की छड़ी 

  “बधाई हो यार बधाई हो! प्रोमोशन की और वह भी हमारे सबसे बढ़िया डिपार्टमैंट में!” आलोक ने मनीष को ऑफ़िस के कार-पार्क में बड़ी-सी कार में प्रवेश करते देख अपनी छोटी-सी कार से बाहर निकल कर ऊँची आवाज़ में आगे पढ़ें


जेबकतरे

  जैसे-ही राजू ने नंदनगरी की टिकट लेने के लिए जेब में हाथ डाला, जेब से पर्स ग़ायब था। राजू कंडक्टर की तरफ़ देखकर ग़ुस्से में बोला, “तुम लोगों को सब कुछ पता होता है कि जेब किसने काटी है आगे पढ़ें


निरिजा का शोक

   . . . मोपला के हाथों मालाबार के हिन्दुओं का भयानक अंजाम हुआ। नर-संहार, जबरन धर्मांतरण, मंदिरों को ध्वस्त करना, महिलाओं के साथ अपराध, गर्भवती महिलाओं के पेट फाड़े जाने की घटना, ये सब हुआ। हिन्दुओं के साथ सारी आगे पढ़ें


पंछी का रुदन

  “अरे रे रे रे यह तोता घर में आ गया है!” घर के भीतर तोता उड़ता देखकर मैंने हैरानी से मिनी की सहेली जया से कहा। अस्पताल में अचानक मिलने पर जया को उसके घर छोड़ने गए तो उसने आगे पढ़ें


बेघर

  बात वही थी, पर न जाने क्यों पीड़ा हर बार नई-सी देती थी।  ‘मैं ऐसा ही हूँ, रहना हो तो रहो, नहीं तो अपने घर चली जाओ।’ इस एक वाक्य के आगे रीता के सभी तर्क-वितर्क, निवेदन, धूल हो आगे पढ़ें


मैग्नोलिया जैसी खिली

  जाड़ों में जब वृक्ष एकदम रूखे और नंगे हो जाते हैं यहाँ तक कि उनकी चमड़ी भी उधड़ने लगती है, तब झील की ओर से ठंडी तेज़ हवा वैसे ही हाहाकार करती हुई उठती है जैसे बर्फ़ से जमी आगे पढ़ें


यथार्थ

  आज का हर युवा विदेश जाने के लिए उत्साहित रहते हैं। कभी ऊँच शिक्षा के लिए तो कभी अच्छी नौकरी के लिए। जो एक बार चला गया वो लौटकर कहाँ आना चाहता है? विदेशी चकाचौंध में वे ऐसे लीन आगे पढ़ें


राजीव कुमार – 032

  1. परियोजना कर देती विफल लूट योजना।    2. पति गए जोग दे गहरा आघात काटूँ वियोग।    3. पत्र सबूत ख़ुशहाली विकास कहाँ है लूट    4. लूटा न कोई कारवां सलामत रब नेमत।    5. लोग हसेंगे आगे पढ़ें


संगीत से सजी महफ़िल 

  मंच सजा हुआ था। कलाकार अपनी अपनी जगह ले चुके थे। मुख्य कलाकार देश के जाने माने वादक थे जिनका नाम देश विदेश में सम्मान के साथ लिया जाता है। महिला उद्घोषक कार्यक्रम शुरू करने के पहले माइक पर आगे पढ़ें


सपूत आज भी हैं . . . 

  रवीना अस्पताल के बिस्तर पर लेटी थी। दो दिन पहले इतना तेज़ दर्द पेट में उठा कि उसे समझ में ही नहीं आया कि उसे क्या हो रहा है। एक महीने से हल्का दर्द होता था, पर वह गैस आगे पढ़ें


हास्य/व्यंग्य

अस्त्र-शस्त्र

  दुनिया में आप बूढ़े हो जाएँगे 90 साल के 100 साल के कितने, लेकिन अपने माँ के चाँटे को कभी भूल ना पाएँगे और ऐसा कौन-सा बच्चा है जो भारत में अपनी माँ से पिटा नहीं।  नवदुर्गा की समाप्ति आगे पढ़ें


आओ ग़रीबों का मज़ाक़ उड़ायें

  यह ग़रीब लोग कौन होते हैं? . . . जो एक वक़्त की खाने की तलाश में मज़दूरी में लगे रहते हैं। रह जाते हैं उनके छोटे-छोटे बच्चे जिनका शिक्षा से कहीं दूर-दूर तक नाता नहीं होता है। यदि आगे पढ़ें


कूल बनाये फ़ूल

  “मुझे सेब के पेड़ के नीचे बैठने का आइडिया माही भाई ने ही दिया था तभी मैं ग्रेविटी की खोज कर पाया”–न्यूटन। अगले कुछ दिनों में अगर आपको कुछ ऐसा पढ़ने को मिल जाये तो ताज्जुब मत कीजियेगा। धोनी आगे पढ़ें


मच्छर एकता ज़िंदाबाद! 

  यों ही मच्छरों के राष्ट्रीय अध्यक्ष को फ़ार्म हाउस में घूमते-घूमते लगा कि यार! बड़े दिन हो गए! अपनी बिरादरी का कहीं कोई सम्मेलन-वम्मेलन नहीं हुआ। जात बिरादरी के सम्मेलन, समारोह बीच-बीच होते रहें तो उससे अपनी जात बिरादरी आगे पढ़ें


आलेख

अक्षय तृतीया: भगवान परशुराम का अवतरण दिवस

  वैशाख माह की शुक्ल पक्ष तृतीया का हमारे सनातन धर्म में विशेष महत्त्व है। अक्षय तृतीया अर्थात्‌ आखा तीज का दिन बहुत शुभ होता। अक्षय तृतीया को सर्वसिद्ध मुहूर्त माना जाता है। मान्यता है कि यह दिन इतना शुभ आगे पढ़ें


क्यों अख़बार हुए सफल? जबकि ढेर लगा है चैनलों का! 

(‘प्रेस स्वतंत्रता दिवस’ विशेष)   आज बेटे का जन्मदिन हैं। सुबह-सुबह उसे अख़बार पढ़ते देख, याद आया की आज तो 3 मई है! यानी विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस, उसके हाथों में अख़बार देख मन ही मन में सोचने लगी, “हम आगे पढ़ें


प्रवासी हिन्दी उपन्यास में थर्ड जेंडर

(महिला उपन्यासकारों के संदर्भ में)  डॉ. मधु संधु, पूर्व प्रो. एवं अध्यक्ष,  हिन्दी विभाग, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर, पंजाब।    थर्ड जेंडर में ट्रांस-मेन, ट्रांस-विमन, किन्नर आदि आते हैं। समलैंगिकता का उल्लेख सभी देशों और सभी संस्कृतियों में मिलता आगे पढ़ें


रावण ने किया कौशल्या हरण, पश्चात दशरथ कौशल्या विवाह

  अमरता का वरदान पाकर अतुल्य बलशाली राक्षसराज रावण दिव्यास्त्रों की प्राप्ति के पश्चात अहंकार से चूर धरती पर ही नहीं अपितु देवलोक के देवताओं पर हमला कर अपनी जीत की पताका फहराता रहा और सृष्टि की संपूर्ण व्यवस्थाओं पर आगे पढ़ें


राहु की महादशा: वरदान या अभिशाप 

  राहु की महादशा का नाम सुनते ही लोगों में एक अनजाना भय व्याप्त हो जाता है, उन्हें लगता है की राहु जैसे क्रूर ग्रह की महादशा के कारण उन्हें जीवन में बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता आगे पढ़ें


सगुन-अगुन का भेद

  सगुनहि अगुनहि नहीं बहू भेदा। गावहिं मुनि पुरान बुध बेदा।  (राम चरित मानस)  देवता और देवी को प्रत्यक्ष मूर्ति के रूप में देखना और उनके दर्शन (philosophy) को स्वीकार करना अद्भुत है परन्तु उतना ही ईश्वर के निराकार रूप आगे पढ़ें


समीक्षा

आंचलिकता का निर्वहन करता उपन्यास: डांडी

आंचलिकता का निर्वहन करता उपन्यास: डांडी

समीक्षित पुस्तक: डांडी (उपन्यास) लेखक: डॉ. धर्मपाल साहिल प्रकाशक: इंडिया नेटबुक्स प्राइवेट लिमिटेड, नोएडा।  मूल्य: ₹ 300/- कुल पृष्ठ:109 ISBN number: 978-81-19854-15-8 उपलब्धता: Amazon, flipkart डॉ. धर्मपाल साहिल की क़लम से रचित कंडी आंचलिक परिवेश का प्रतिनिधित्व करता उपन्यास ‘डांडी’ आगे पढ़ें


खुल रहा है आलोचना का नया गवाक्ष

खुल रहा है आलोचना का नया गवाक्ष

चर्चित पत्रिका: धरती-21, आलोचना अंक संपादक: शैलेन्द्र चौहान संपर्क: 34/242, सेक्‍टर-3, प्रतापनगर, जयपुर-302033 मो. 7838897877 ‘धरती’ के ताज़ा अंक संख्या-21 (आलोचना एवं पुस्तक चर्चा) पर सुप्रसिद्ध आलोचक डॉ. जीवन सिंह ने हिंदी आलोचना की वर्तमान स्थिति पर महत्त्वपूर्ण टिप्पणी की आगे पढ़ें


गाँव के आँचल में पलती कहानियाँ—कपास

गाँव के आँचल में पलती कहानियाँ—कपास

समीक्षित पुस्तक: कपास (कहानी संग्रह) लेखक: डॉ. कुबेर दत्त कौशिक प्रकाशक: शॉपिज़ेन डॉट इन (shopizen.in) समीक्षक: सोनल मंजू श्री ओमर मूल्य: ₹333.00 (पेपरबैक) ₹25.00 (ई-पुस्तक) हाल ही में लेखक डॉ. कुबेर दत्त कौशिक जी का 10 कहानियों का संग्रह ‘कपास’ आगे पढ़ें


मानसपटल पर अमिट हस्ताक्षर है ‘अधलिखे पन्ने’

मानसपटल पर अमिट हस्ताक्षर है ‘अधलिखे पन्ने’

समीक्षित कृति: अधलिखे पन्ने (कविता संग्रह)  लेखक: धर्मपाल महेंद्र जैन प्रकाशक: न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन, नई दिल्ली  मूल्य: ₹250.00 प्रथम संस्करण: 2024 कविता व व्यंग्य के माध्यम से चेतना शून्य लोगों में चेतना भरने वाले, राजनीतिक, सामाजिक व अव्यवस्थाओं पर व्यंग्यात्मक आगे पढ़ें


संवेदनाओं की यथार्थवादी अभिव्यंजना : मोह के धागे

संवेदनाओं की यथार्थवादी अभिव्यंजना : मोह के धागे

समीक्षित पुस्तक: मोह के धागे (कहानी-संग्रह) रचनाकार: वीणा विज ‘उदित’ प्रकाशक: बिम्ब–प्रतिबिम्ब प्रकाशन, फगबाड़ा (पंजाब) प्रकाशन वर्ष: 2021 मूल्य: ₹225.00 पृष्ठ संख्या: 125 ISBN: 978-81-949779-8-8 बिंब प्रतिबिंब सृजन संस्थान, फगवाड़ा पंजाब से प्रकाशित कहानी-संग्रह ‘मोह के धागे’ लेखिका वीणा विज आगे पढ़ें


संवेदनाशून्य होते इंसान को प्राणवान बनाने की चेष्टा करती कहानियाँ

संवेदनाशून्य होते इंसान को प्राणवान बनाने की चेष्टा करती कहानियाँ

समीक्षित पुस्तक: कुछ यूँ हुआ उस रात लेखिका: प्रगति गुप्ता  प्रकाशन: प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली पृष्ठ:134  मूल्य: ₹250/- आधुनिकता की चकाचौंध ने संवेदनाओं और कोमल भावों को लगभग मूल्यहीन बना दिया है, तथा मनुष्य भौतिकता में इतना आसक्त होता जा आगे पढ़ें


सन्नाटे में शोर बहुत है

सन्नाटे में शोर बहुत है

पुस्तक: सन्नाटे में शोर बहुत है (ग़ज़ल संग्रह)  ग़ज़लकार: अंजू केशव प्रकाशन: लिटिल बर्ड पब्लिकेशंस, नई दिल्ली मूल्य: ₹210 (पेपर बैक)  पृष्ठ: 128 सद्यः प्रकाशित पुस्तक ‘सन्नाटे में शोर बहुत है’ समर्थ ग़ज़लकार अंजू केशव का पहला ग़ज़ल संग्रह है आगे पढ़ें


संस्मरण

गोपा, एक संस्मरण 

  मैं अपने को बहुत भाग्यशाली समझती हूँ कि अपनी मातृभाषा हिंदी के साथ-साथ मैं बांग्ला भी लिख पढ़ सकती हूँ। जब भी मैं बांग्ला भाषा के मधुर संगीत को सुनती हूँ और उनके नाटकों का आनंद लेती हूँ, तब आगे पढ़ें


मेरी अपनी कथा-कहानी

विद्युत् मंडल में एक्सिक्यूटिव इंजीनियर के पद से सेवानिवृत होने 21 साल बाद आज बचपन की ओर लौटता हूँ तो संघर्षों का वह कठिन दौर आँखों के सामने साक्षात्‌ उपस्थित होकर अपनी कहानी कहने लगता है और यह घोषणा भी आगे पढ़ें


वह दिन आज भी याद है

  जीवन में कुछ घटनाएँ ऐसी होती हैं जो अक्सर याद रह जाती हैं। ऐसी ही एक दिन की घटना मैं आप सबके साथ साझा करना चाहती हूँ। बात उन दिनों की है जब हमारा परिवार मुंबई की चकाचौंध को आगे पढ़ें


कविताएँ

शायरी

समाचार

साहित्य जगत - विदेश

वातायन-यूके प्रवासी संगोष्ठी-174

वातायन-यूके प्रवासी संगोष्ठी-174

1 Apr, 2024

    टैगोर ने अपनी पहली कविता ब्रज भाषा में ही लिखी थी—अनिल शर्मा जोशी    लंदन: 31 मार्च, 2024: ‘बोलियों…

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प्रो. रेखा शिक्षण जगत की एक शख़्सियत हैं–अनिल शर्मा जोशी

प्रो. रेखा शिक्षण जगत की एक शख़्सियत हैं–अनिल शर्मा जोशी

4 Mar, 2024

(‘वातायन-यूके’ की 168वीं संगोष्ठी का आयोजन)  लन्दन, दिनांक 02-03-2024: ‘वातायन-यूके’ के तत्वावधान में दिनांक 02-03-2024 को इस वैश्विक मंच की…

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बैरोनेस श्रीला फ़्लैदर को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित

बैरोनेस श्रीला फ़्लैदर को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित

19 Feb, 2024

  लंदन, 19 फरवरी 2024: साहित्यिक और सांस्कृतिक मंच ‘वातायन-यूके’ द्वारा दिनांक: 17-02-2024 को आयोजित 166 वीं संगोष्ठी में बैरोनेस…

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साहित्य जगत - भारत

प्रगतिवादी काव्य की सामान्य प्रवृत्तियाँ संगोष्ठी संपन्न, युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच, तेलंगाना

प्रगतिवादी काव्य की सामान्य प्रवृत्तियाँ संगोष्ठी संपन्न,..

6 May, 2024

युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (पंजीकृत न्यास) आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना राज्य शाखा की वर्चुअल पंद्रहवीं संगोष्ठी 28 अप्रैल 2024 (रविवार)…

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अश्विनी कुमार दुबे के कहानी संग्रह ‘आख़िरी ख़्वाहिश’ के लोकार्पण एवं समकालीन कथा साहित्य पर चर्चा

अश्विनी कुमार दुबे के कहानी संग्रह ‘आख़िरी ख़्वाहिश’ के लोकार्पण..

16 Apr, 2024

  बेहतर आदमी तो समाज और साहित्य के माध्यम से ही बन सकता है: संतोष चौबे   क्षितिज संस्था द्वारा…

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पुनीता जैन को ‘श्री प्रभाकर श्रोत्रिय स्मृति आलोचना सम्मान’

पुनीता जैन को ‘श्री प्रभाकर श्रोत्रिय स्मृति आलोचना सम्मान’

24 Mar, 2024

  16 मार्च 2024 को मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, हिन्दी भवन, भोपाल द्वारा आलोचना कर्म के लिए अखिल भारतीय स्तर…

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साहित्य जगत - भारत

नदलेस ने की अनामिका सिंह अना के नवगीत संग्रह ‘न बहुरे लोक के दिन’ पर परिचर्चा

नदलेस ने की अनामिका सिंह अना के नवगीत संग्रह ‘न बहुरे लोक के..

6 May, 2024

दिल्ली। नव दलित लेखक संघ ने अनामिका सिंह ‘अना’ के नवगीत गीत संग्रह ‘न बहुरे लोक के दिन’ पर ऑनलाइन…

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रचनाओं को परिष्कृत करने के लिए उन पर चर्चा ज़रूरी—अश्विनी कुमार दुबे

रचनाओं को परिष्कृत करने के लिए उन पर चर्चा ज़रूरी—अश्विनी कुमार..

2 Apr, 2024

  क्षितिज साहित्य संस्था द्वारा होली मिलन समारोह एवं व्यंग्य रचना पाठ संगोष्ठी का आयोजन अरोमा रेस्टोरेंट, महालक्ष्मी नगर, इंदौर…

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ब्रज के लोकगीत और रसिया गायन

ब्रज के लोकगीत और रसिया गायन

20 Mar, 2024

इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली के फ़ाउंटेन लॉन में 9 मार्च, 2024 को ब्रज के लोकगीत और रसिया गायन सांस्कृतिक…

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