याद बहुत आते हो पापा  

01-05-2024

याद बहुत आते हो पापा  

मनोज शाह 'मानस' (अंक: 252, मई प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

छूट गया माँ का आँचल! 
हृदय में विकराल हलचल!! 
 
जबसे पापा धरे बिस्तर! 
अनाथ सा हो गया निरंतर!! 
 
छूटने को है साया ए पापा। 
याद बहुत आते हो पापा॥
 
जब रहे पापा घर आँगन में! 
कमी नहीं कुछ भी जीवन में!! 
 
जब ना रहे पापा घर में! 
लगता जीवन अधर में!! 
 
बिखरे बिखरे जीने का सियापा। 
याद बहुत आते हो पापा॥
 
श्रद्धालु भक्त राम नारायण के! 
वाचक गीता और रामायण के!! 
 
सत्यमार्ग, सत्यबुद्धि, सत्यकर्म सदा! 
ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, धर्म सदा!! 
 
एक राम एक नारायण ही जापा। 
याद बहुत आते हो पापा॥

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