पंद्रह सिंधी कहानियाँ

पंद्रह सिंधी कहानियाँ  (रचनाकार - देवी नागरानी)

हिंदी साहित्यमाला में एक चमकता मोती

 

भारत के हर राज्य में पूरे भारत देश की भाषाएँ बोली जाती हैं, जिस कारण भारत देश को बहुभाषी देश भी कहा जाता है। हर जाति का आपस में एकता और भाईचारे का संबंध क़ायम रहे, साथ ही साथ हर भाषा-भाषी को एक-दूसरे की भाषा के साहित्य की जानकारी मिले, इसलिए हर भाषा में अनुवाद के द्वारा साहित्य के आदान-प्रदान का सिलसिला जारी रखते हुए अनुवादों के प्रयास चल रहे हैं। अनुवाद ही हर भाषा के साहित्य को जोड़कर रखने के लिए एक पुल का काम करता है।

श्रीमती देवी नागरानी बुनियादी तौर पर एक शायरा हैं। शायरी इनके जीवन का एक यादगार पहलू है और यही उनकी पहचान है। इनकी शायरी पढ़ने में सरल है तथा उनका कार्य हमारे दिलो-दिमाग़ को छू जाता है। इनकी शायरी हमारे मन की गहराइयों तक पहुँचती है।

श्रीमती देवी नागरानी द्वारा अनूदित पुस्तक ‘पंद्रह सिंधी कहानियाँ’ में अनुवादिका ने सिंध के विद्वानों की कहानियों का हिंदी में अनुवाद करके सराहनीय कार्य किया है।

अनुवाद करते समय मूल रचना के भावों एवं मनोभावों को सरल भाषा-शैली के अनुरूप ढाला गया है। इन कृतियों को पढ़ने में मूल रचना का ही अहसास होता है। अनुवाद करते समय अनुवाद के सभी नियमों का पालन किया गया है, इसीलिए मूल रचना की सुगंध आ रही है।

मैं श्रीमती देवी नागरानी द्वारा किए गए कार्य का स्वागत करती हूँ और उम्मीद करती हूँ कि हिंदी-जगत भी इस कार्य की सराहना करेगा। यह पुस्तक हिंदी साहित्यमाला में एक चमकता मोती सिद्ध होगी। मैं देवी को धन्यवाद देते हुए शुभकामना करती हूँ कि वे आगे भी साहित्य में अपना योगदान देती रहें और साहित्य के सागर को भरती रहें।

—कु. मंजू नेचाणी
प्राचार्या, के.सी. कॉलेज, मुंबई

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