मेरे हिस्से जब कभी शीशे का घर आता है

01-05-2024

मेरे हिस्से जब कभी शीशे का घर आता है

सुशील यादव (अंक: 252, मई प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

2122        212        2122        212
 
मेरे हिस्से जब कभी शीशे का घर आता है
तेरे हाथों में अचानक क्यों पत्थर आता है

 

पास रखता था यहाँ मैं दिखाने आईना
हाथ मेरे आज छोटा यहाँ घर आता है

 

एक आफ़त वो हमें रोज़ चिपकाता रहा
इक शिकन्जा सामने जाँच दफ़्तर आता है

 

चाहने का तुम को मालूम है अंजाम भी
जब धुआँ हो आसमा, वो कतर पर आता है

 

अब उतर जाए मिरे ख़ौफ़ का आलम यहाँ
मुझको सीधा सादगी बोल अक़्सर आता है

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

सजल
ग़ज़ल
नज़्म
कविता
गीत-नवगीत
दोहे
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
कविता-मुक्तक
पुस्तक समीक्षा
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में

लेखक की पुस्तकें