मदद का भाव
ममता मालवीय 'अनामिका'
गर करना है कुछ कमाल तो,
नियत में अपनी ये सुधार कर।
पाने का भाव तज दे ज़रा,
निःस्वार्थ मदद का भाव धर।
सोच तू होगा इतना लायक़ जब,
ईश्वर ने दिया इतना वैभव तब।
कर नित्य उसका शुक्रिया,
अहंकार छोड़ दे, सारे अब।
क़द्र धन, समय, व्यक्ति की कर,
रूप, रंग की तुलना हैं व्यर्थ।
माना आसमां की उड़ान हैं अच्छी,
मगर ज़मीं से ख़ुद को बाँध कर।
एक बात सदैव मस्तिष्क पर धर,
अपनो में कभी तेरा-मेरा न कर।
त्याग पर टिकी हैं ये प्रकृति सारी।
सहयोग में तू सौदेबाज़ी न कर।
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