राजीव कुमार – 032

01-05-2024

राजीव कुमार – 032

राजीव कुमार (अंक: 252, मई प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

1.
परियोजना
कर देती विफल
लूट योजना। 
 
2.
पति गए जोग
दे गहरा आघात
काटूँ वियोग। 
 
3.
पत्र सबूत
ख़ुशहाली विकास
कहाँ है लूट 
 
4.
लूटा न कोई
कारवां सलामत
रब नेमत। 
 
5.
लोग हसेंगे
कोई ना देगा साथ
बढ़ा औक़ात। 
 
6.
लेखनी संग 
जीवन में उमंग
रचना धर्म। 
 
7.
जोग ले लिया 
पति ने, पत्नी ने भी
रोग ले लिया। 
 
8.
ख़ता ना पता
अपने हुए बेगाने
दिल ना माने। 
 
9.
किया इरादा
मंज़िल को ले जाता
ख़ुद से वादा। 
 
10.
आदमी से है
परेशान आदमी
तन्हा पसंद। 
 
11.
दाँत का काम। 
आंत करे तमाम
पाचन दोष। 
 
12.
तमन्ना बाक़ी
जब तक दिल में। 
तू मंज़िल पे
 
13.
की ना जिसने
ख़ुद से मुलाक़ात
हार है साथ। 
 
14.
कई हैं मोड़ 
जहाँ पे तुम जागो
वहीं से दौड़। 

15.
वक़्त पारखी
करेगा ही परख
हौसला रख। 
 
16.
मन गागर
फूटा हुआ है घड़ा
प्यासा है पड़ा। 
 
17.
दिल शायर
रचे हैं कई गीत
मिला न मीत 
 
18.
कौन रोकेगा
राह में कई फेर? 
थोड़ी सी देर। 
 
19.
रोटी तलाश
दूर अपना ख़ास। 
कोई ना पास। 

20.
मौसम मार
खेतिहर लाचार
कर उद्धार। 

21.
दिल है टूटा
चुपके बेआवाज़
दफ़न राज़। 
 
22.
कहे दीवाना। 
ठुकरा कर प्यार
कहीं न जाना। 
 
23.
रखा हिसाब
मेरी एक मजबूरी का
वफ़ाएँ है भूला। 
 
24.
मिलते नहीं
ख़यालात भी अपने
दोस्ती है दूर। 
 
25.
मन को घेरे
जब कोई विवाद
तुम आये याद

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