जेबकतरे
कपिल कुमार
जैसे-ही राजू ने नंदनगरी की टिकट लेने के लिए जेब में हाथ डाला, जेब से पर्स ग़ायब था। राजू कंडक्टर की तरफ़ देखकर ग़ुस्से में बोला, “तुम लोगों को सब कुछ पता होता है कि जेब किसने काटी है और किसने नहीं? तुम सब इनसे मिले हुए हो।”
कंडक्टर ने राजू की तरफ़ देखते हुए धीमे स्वर में कहा—जो देश की जेब काट रहे हैं उनका ही देश की जनता से कुछ नहींं बिगड़ता, तुम अकेले इन जेबकतरों का क्या बिगाड़ लोगे?
बस सीमापुरी स्टैंड पर रुकती है और वहाँ खड़े टिकट चेकर राजू के क़मीज़ के कॉलर को पकड़कर जीप में बिठा लेते हैं।
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