कपिल कुमार-हाइकु-007

01-05-2024

कपिल कुमार-हाइकु-007

कपिल कुमार (अंक: 252, मई प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 


1.
प्रेम के क़िस्से
किताबों से अधिक
होंठों पे मिले। 
 
2.
धरा से भारी
मनुजता को तोड़े
जो भी चिंगारी। 
 
3.
टेसू ज्यों झरे
प्रेम की अभिव्यक्ति
वसंत करें। 
 
4.
वसंत लिखे
बिना किसी अनुबंध 
प्रेम के छंद। 
 
5.
दुःखों का डाका
इच्छाओं का रथ, ज्यों
हमने हाँका। 
 
6.
दिन ज्यों ढले
यादों की चिंगरियाँ
मन में जले। 
 
7.
प्रेम ज्यों झाँका
ईर्ष्या कर न सकी
बाल भी बाँका। 
 
8.
तुम ज्यों आऍं
पीड़ाओं ने पथ में 
फूल बिछाऍं। 
 
9.
कोई न द्वेष
स्मृतियों में अशेष
केवल प्रेम। 
 
10.
मन को खाएँ
आँखों का अपराध
ज्यों याद आएँ। 
 
11.
आँखों ने छला
प्रेम का सिलसिला
ज़्यादा ना चला। 

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